साया डायन का E-19 | New horror story in hindi | Hindi story my

 

साया डायन का E-19



उस लड़की का चेहरा देखने से पहले अवनीत यह सब सोचकर परेशान था की यहाँ हो क्या रहा हैं पर अब जैसे उसका दिमाग़ उस लड़की के चेहरे के आगे शून्य सा हो गया था। तभी वो लड़की धीरे धीरे उस लड़के के पास जाने लगती हैं जो अवनीत को वहाँ लेकर आया था पर हैरानी की बात तो यह थी की वहाँ इतना अंधेरा और बारिश थी की अभी भी उस लड़के का चेहरा सही से नहीं दिख रहा था पर वही उस लड़की का चेहरा उस अँधेरे में भी बिलकुल साफ़ साफ़ नजर आ रहा था। वो लड़की आपने चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए उस लड़के की ओर बढ़ी जा रही थी उस लड़की की वो मुस्कान अँधेरी रात की चांदनी सी लग रही थी उसके चेहरे में अलग ही चमक थी और वही चमक अवनीत के दिमाग़ को शून्य करने का काम कर रही थी।

वही दूसरी ओर अशोक भागता हुआ भैरव मंदिर पहुंच जाता हैं वहाँ पहुंचते ही अशोक काल भैरव की मूर्ति के आगे आपने दोनों हाथ जोड़ झुककर काल भैरव से बोलता हैं - हे भगवान मेरी मदद करो मुझे शक्ति दो की मैं आपने कार्य में सफल हो जाऊ - इतना बोलकर अशोक काल भैरव की मूर्ति के बगल में रखा खप्पर उठा लेता हैं उस खप्पर को उठाते ही अशोक उस खप्पर को बड़े ध्यान से देखने लगता हैं क्यूंकि उस खप्पर में संस्कृत में कई सारे मंत्र लिखें हुए थे वो खप्पर देखने में ही दूसरे किसी भी आम खप्पर से बहुत अलग था पर अशोक इस पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए तुरंत डायन कोट के लिए निकल जाता हैं।

और उधर आश्रम में बाबा और रजत बैठे हुए थे तभी रजत देखता हैं की बाबा थोड़े परेशान से लग रहे थे रजत यह देख बाबा से बोलता हैं - बाबा आप कुछ सोच रहे हैं क्या - रजत की बात सुनकर फिर बाबा बोलते हैं - बेटा मैं अशोक के लिए परेशान हूँ क्यूंकि मैंने उसे एक बात तो बताई ही नहीं - बाबा की बात सुनकर रजत फिर बोलता हैं - क्या बाबा - फिर बाबा बोलते हैं - यही की कोई भी उस डायन की आँखो में देखता हैं तो वो डायन के वश में हो जाता हैं और मैं इसी बात से परेशान हूँ की कही अशोक उस डायन आँखो में ना देख ले - बाबा की बात खत्म होते ही फिर रजत बोलता हैं - पर बाबा आपने तो अशोक को खप्पर और सुरक्षा कवज दे रखे हैं -

और उधर वो लड़की उस लड़के के एकदम पास जाकर बोलती हैं - तुमने जो काम मेरे लिए किया हैं उसके लिए मुझे तुम्हे धन्यवाद बोलना चाहिए पर मेरा धन्यवाद बोलने का तरीका थोड़ा अलग हैं - इतना बोलकर वो लड़की एकदम से उस लड़के की गर्दन अपने एक हाथ से पकड़कर उस लड़के को ऊपर हवा में टांग देती हैं कुछ देर वो लड़का अपने हाथ पैर हवा में ही मारता मारता अपना दम तोड़ देता हैं उस लड़के के मरते ही वो लड़की उस लड़के को उधर ही जमीन पर नीचे फैक देती हैं

और अवनीत की ओर जाने लगती हैं और अवनीत के एकदम पास जाकर बोलती हैं - तो तुम ही हो उस मुखिया के आखरी वंशज आज तुझे मारकर मेरा बदला पूरा होगा पर आज मैं तुझे इतनी आसान मौत नहीं दूंगी तुझसे तो मैं अपने पुरे 500 सालो का बदला लुंगी - इतना बोलकर वो लड़की या फिर यह कहे वो डायन अवनीत के पास बैठकर उसके बालो में अपना हाथ फैरने लगती हैं और अपने नोकिले नाखून से अवनीत के गालों को नोंचने लगती हैं पर जैसे उस समय अवनीत को उस सबका कोई असर नहीं हो रहा था वो तो बस एक टक उस डायन के चेहरे को ही देख रहा था

तभी वो डायन अवनीत से बोलती हैं - मेरा नाम दिव्या हैं और तुम्हरा क्या नाम हैं - फिर अवनीत एक छोटे बच्चे की तरह जवाब देते हुए बोलता हैं - मेरा नाम अवनीत हैं - फिर दिव्या बोलती हैं - अवनीत तुम्हे मैं कैसी लगी - फिर अवनीत बोलता हैं -तुम मुझे बहुत अच्छी लगी तुम बहुत सुन्दर हो - अवनीत के इतना बोलने के बाद दिव्या मुस्कुराने लगती हैं उस समय अवनीत को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे अवनीत से यह सब कोई जबरदस्ती बुलवा रहा हो तभी दिव्या फिर से बोलती हैं - अवनीत तुम मेरे लिए क्या कर सकते हो - फिर अवनीत बोलता हैं - मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ - अवनीत के इतना बोलते ही दिव्या फिर से मुस्कुराने लगती और मुस्कुराते हुए ही बोलती हैं - अवनीत मुझे तुम्हारी आँखे बहुत पसंद आ रही हैं क्या तुम अपनी आँखे मुझे निकाल कर दे सकते हो - फिर अवनीत बोलता हैं - हाँ -

इतना बोलकर अवनीत अपनी जगह पर खड़ा होता और इधर उधर देखने लगता हैं तभी दिव्या उसे आवाज लगा कर बोलती हैं - अवनीत कही तुम यह तो नहीं ढूंढ रहे - इतना बोलकर दिव्या अपना हाथ आगे की ओर करती हैं जिसमे उसने एक तेजधार चाकू पकड़ा हुआ था। अवनीत उस चाकू तुरंत दिव्या के हाथ से ले लेता हैं और अपनी आँखो की ओर उस चाकू को लेकर ही गया था की तभी अवनीत के पिछे अशोक आ जाता हैं वहाँ पहुंचते ही अशोक अवनीत को आवाज लगाता हैं - नहीं अवनीत रुको -
इसके आगे की कहानी अब अगले एपिसोड में हैं


इस कहानी के लेखक हैं - शिव



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