साया डायन का E-17
फ़ोन की स्क्रीन पर रजत का नाम देखकर अवनीत ने तुरंत फ़ोन उठाया और बोला - भाई कहाँ हैं और तू ठीक तो हैं ना - पर उसके बाद दूसरी ओर से रजत ने जो कहा उसे सुनकर तो अवनीत के होश ही उड गए। क्यूंकि फ़ोन की दूसरी ओर से रजत ने कहा - अबे भाई तू कहाँ हैं मैं कबसे तेरे घर में तेरा इंतजार कर रहा हूँ और मुझे क्या होगा - अवनीत ने जैसे ही इतना सुना वो तुरंत वही रुक कर यह सोचने लगा - अगर रजत मेरे घर में हैं तो अभी इतनी देर से रजत की आवाज में मुझे आवाज कौन लगा रहा था यह इतनी देर से हो क्या रहा हैं मेरे साथ मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा -
अवनीत वहाँ खड़े खड़े यही सब सोच ही रहा था की तभी फ़ोन की दूसरी ओर से फिर रजत ने कहा - भाई तू ठीक तो हैं ना वैसे तू हैं कहाँ - फिर अवनीत ने जवाब देते हुए कहा - यार मैं ठीक हूँ तू वही रुक मैं अभी आया - इतना बोलकर अवनीत फ़ोन डिसकनेक्ट कर देता हैं। और फिर उसके बाद अवनीत के फ़ोन वापस से अपनी जेब में रखते ही फिर से वही आवाज आने लगती हैं जो रजत जैसी लग रही थी पर इस बार वो आवाज यह बोल रही थी - अरे भाई तू वहाँ क्यों रुक गया थोड़ा और आगे आ यार मैं आगे ही हूँ भाई बहुत दर्द हो रहा हैं यार यह मार देंगे मुझे भाई मुझे बचाले -
इस बार उस आवाज के इतना बोलने के बाद भी अवनीत वही तेज बारिश तूफ़ान में एक ही जगह खड़े खड़े बस यही सोच रहा था की वो करें तो क्या करें की तभी एक बार फिर रजत जैसी आवाज ने कहा - भाई बचाले मुझे मैं तेरा दोस्त हूँ यार बहुत दर्द हो रहा हैं भाई थोड़ा और आगे आ - पर इस बार भी उस आवाज के इतना बोलने के बाद भी अवनीत अपनी ही जगह खड़ा रहा। क्यूंकि अवनीत शायद समझ रहा था की उसके साथ यह इतनी देर से जो कुछ भी हो रहा हैं यह कोई छलावा ही हैं इसलिए अवनीत इस बार अपने घर की ओर वापस मूड जाता हैं और घर की ओर जाने लगता हैं उसके पिछे मुड़ते ही वो रजत जैसी आवाज भी अचानक से आना पूरी तरह से बंद हो जाती हैं।
पर अभी अवनीत अपने घर की ओर दो तीन कदम ही चला था की तभी अवनीत के पिछे से किसी ने अवनीत के सर पर कुछ बड़ी जोर से मारा। वो चीज अवनीत के सर पर लगते ही अवनीत अपने सर पर हाथ लगाया और धीरे धीरे पिछे मुड़ने लगा वो जैसे जैसे पिछे मूड रहा था वैसे वैसे उसकी आँखो के आगे अंधेरा सा झा रहा था पर उसने उतनी ही देर में अपनी उन बंद होती हुई आँखो से उसका चेहरा तो देख ही लिया था जिसने उसे पिछे से डंडा मारा था। पर अवनीत उस समय कुछ कर पाता उससे पहले ही उसकी आँखो के आगे पूरी तरह से अंधेरा सा झा गया और वो वही बैहोश होकर नीचे गिर गया।
वही दूसरी ओर रजत अवनीत के घर में बैठे बैठे काफ़ी देर उसका इंतजार रहा था रात भी काफ़ी हो गई थी इसलिए रजत को अवनीत की बहुत चिंता हो रही थी क्यूंकि बाबा ने उन दोनों को सावधान रहने के लिए कहा था और उन्होंने यह भी कहा था की जब तक अवनीत की शक्तियां जागृत नहीं हो जाती तब तक अवनीत की जान को बहुत ज्यादा खतरा हैं। और साथ ही साथ रजत यह भी सोच रहा था की अवनीत उससे यह क्यों पूछ रहा था की - मैं ठीक तो हूँ ना कही उसके साथ कुछ हुआ तो नहीं क्यूंकि काफ़ी समय हो गया हैं उसे फ़ोन करें अब तक तो उसे वापस आ जाना चाहिए था -
यही सब सोचकर रजत ने अवनीत को फिर से फ़ोन लगाने लगता हैं पर फ़ोन की रिंग तो पूरी जा रही थी पर अवनीत फ़ोन उठा नहीं रहा था। वैसे भी अवनीत फ़ोन उठाता भी कैसे क्यूंकि अवनीत तो बैहोश पड़ा था और इसी बात से अनजान रजत अवनीत को बार बार फ़ोन करें जा रहा था। फिर उसके बाद जब चार पाँच बार फ़ोन करने के बाद भी जब अवनीत का कोई जवाब नहीं आया तो रजत, अवनीत के घर से बाहर निकल कर अवनीत को आवाज लगाने लगता हैं।
पर बाहर तेज बारिश तूफ़ान और ऊपर से अंधेरा उसकी वजह से रजत को बाहर कुछ साफ़ दिख नहीं रहा था फिर भी रजत उसी तेज बारिश और तूफ़ान में आवाज लगाता हुआ अवनीत को ढूंढ़ने लगता हैं।
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।
