साया डायन का E-21
वो डायन अशोक के सुरक्षा कवच फैकते ही बड़ी जोर जोर से हँसने लगती हैं और हँसते हुए ही बोलती हैं - अशोक मुझे तुम्हारा यह गला बहुत पसंद आ गया है क्या तुम मुझे अपना गला काट कर दे सकते हो - डायन के इतना बोलते हैं अशोक एक कटपुतली की तरह अपना सर हाँ में हिलाता हैं और इधर उधर देखने लगता हैं तभी वो डायन अपना हाथ आगे करते हुए बोलती हैं - अशोक तुम कही यह तो नहीं ढूंढ रहे - डायन के इतना बोलते ही अशोक उस डायन के हाथ की ओर देखता हैं जिसमे उसने एक तेजधार चाकू पकड़ा हुआ था।
अशोक जैसे ही उस चाकू को पकड़ने के लिए उस डायन के पास जाता हैं और जैसे ही वो चाकू अपने हाथ में पकड़ता हैं की तभी उसके पिछे से एक आवाज आती हैं - ठहरो - वो आवाज सुनकर अशोक वही रुक जाता हैं और एकदम से अशोक के पिछे से एक बड़ी तेज रौशनी उठने लगती हैं वो रौशनी इतनी तेज थी की पूरा डायन कोट ऐसे चमकने लगा जैसे अभी सुबह हो रही हो।
वो डायन भी बड़ी हैरान के साथ उस रौशनी की ओर ही देखे जा रही थी और जैसे ही वो रौशनी कम हुई तो रौशनी में से एक लगभग 25 या 30 साल का लड़का बाहर आया और उस लड़के ने साधुयों जैसे कपडे पहने हुए थे पर वो देखने में एक आम साधु जैसा बिलकुल नहीं था क्यूंकि उस लड़के के चेहरे में एक अलग ही तेज था। तभी वो साधु अशोक की जाते हुए बोलते हैं - होश में आओ अशोक -
हैरानी की बात तो यह थी की उन साधु के इतना बोलते ही अशोक तुरंत होश में आ जाता हैं और होश में आते ही अशोक तुरंत अपने हाथ से वो चाकू नीचे फैक कर बोलता हैं - यह चाकू मेरे हाथ में कहाँ से आया यह क्या हो गया था मुझे - इतना बोलकर अशोक उन साधु की तरफ बड़ी ही हैरान के साथ देख ही रहा था की तभी वो साधु जी अवनीत की ओर जाने लगते हैं और अवनीत के पास जाकर बोलते - होश में आओ अवनीत - और इस बार भी उन साधु के इतना बोलते ही अवनीत भी तुरंत होश में आ जाता हैं। वही दूसरी ओर खड़ी वो डायन यह सब होते हुए बड़े ध्यान से देख रही थी क्यूंकि आज तक कोई भी उस डायन के वशीकरण से बाहर नहीं आ पाया था.
पर तभी वो डायन पता नहीं क्यों फिर जोर जोर से हँसने लगती हैं डायन की हंसी सुनकर अवनीत,अशोक और वो साधु उस डायन की ओर देखने लगते हैं तभी वो डायन हँसते हुए ही बोलती हैं - इने होश में लगकर तू क्या सोचता हैं तू इने यहाँ से बचा कर ले जा पाएगा तू इने तो क्या तू अब अपने आप को भी नहीं बचा पाएगा - इतना बोलकर डायन फिर बड़ी जोर जोर से हँसने लगती हैं। पर उस डायन की बात सुनकर वो साधु भी मुस्कुराने लगते उनको ऐसे मुस्कुराता देख डायन गुस्से में बोलती - तू मेरे वशीकरण से तो बच गया पर अब मेरे इस वार से बचकर दिखा - इतनी बोलकर डायन अपने हाथो को आगे कर के पता नहीं क्या फुसफुसाना लगती हैं।
पर जब उसके काफ़ी देर तक कुछ फुसफुसाना के बाद भी कुछ नहीं होता तो वो डायन फिर गुस्से में बोलती हैं - मैं आज तो जा रही हूँ पर अगली बार तुम्हे नहीं छोडूंगी - इतना बोलकर वो डायन पता नहीं कहाँ गायब हो जाती हैं। फिर उसके बाद अवनीत उस साधु की तरफ देखता हैं और बोलता हैं - आप हैं कौन और वो डायन आप से कैसे डर कर भाग गई - अवनीत ने इतना ही बोलता था की तभी उसके पिछे से एक आवाज आती हैं - मैं बताता हूँ की यह कौन हैं - आवाज सुनकर अवनीत जैसे ही पिछे मुड़कर देखता हैं तो वहाँ अशोक के गुरु जी और उनके साथ रजत खड़ा हुआ था। फिर उसके बाद गुरु जी और रजत अवनीत के पास जाते हैं फिर अशोक के गुरु जी बोलते - मैं तुम्हे बताता हूँ की यह कौन और यहाँ क्यों आए हैं -
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं.
