श्रापित बंगला E-10 || haunted house story in hindi || Hindi story my

 


श्रापित बंगला E-10



बाबा ने अपनी बात जारी रखते हुए संतोष और प्रीति को संगीता और उसकी दोनों बच्चियों की सारी बाते बता रहे थे की उनकी जिंदगी इस घर को किराए पर दे कर बहुत सही से चल रही थी। की तभी उन्होंने बताया की उनके साथ एक दिन ऐसा हुआ की जिसको संगीता ने अपना बंगला किराए पर दिया हुआ था वो किराया नहीं दे रहा था और उसने कुछ कानूनी कार्रवाई कर के वो बंगला अपने नाम करवा लिया था और उसको और उसके बच्चों को इस बंगले से निकलने के लिए कहने लगा। लेकिन संगीता ने भी कह चाहे कुछ भी हो जाए मैं अपना घर छोड़कर नहीं जाऊंगी क्योंकि यह हमारा घर है
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लेकिन संजय प्रसाद ने उस बंगले पर अपना हक जमाना शुरू कर दिया और उसने संगीता से कहा की बस 3 दिन के अंदर तुम यह घर खाली कर के चले जाओ वरना अच्छा नहीं होगा। लेकिन संगीता अपने दोनों छोटे बच्चों को लेकर कहाँ जाती क्यूंकि वो हमेशा से इसी घर में थे। और जिसको उसने घर किराए पर दिया था आज वो बेईमानी कर के उसे और उसके बच्चों को घर से निकाल रहा था। संजय प्रसाद को जब यह यकीन हो गया की ऐसे तो संगीता यहाँ से नहीं जाएगी इसका कुछ करना ही होगा तो उसने एक दिन रात में लगभग 11:00 या 11:30 बजे तभी जब संगीता और उसके बच्चे सो रहे थे।

वो सब तीसरे फ्लोर पर ही रहते थे संजय ने एक प्लान बनाया कि आज ही इनका काम तमाम कर देने के लिए। संजय प्रसाद अपने हाथों में एक तेज धार वाला औजार लिए हुए तीसरे फ्लोर के बेडरूम के दरवाजे पर खड़े होकर दरवाजा खटखटा रहा था। दरवाजे के खट खटाने की आवाज सुनकर संगीता ने अंदर से ही कहा - कौन - फिर बाहर से संजय ने कहा - एक मिनट के लिए दरवाजा खोलना थोड़ा काम है - इन सब मंसूबों से बेखबर संगीता ने जैसे ही दरवाजा खोला वैसे ही संजय प्रशांत ने अपने हाथों में जो औजार लिया हुआ था उससे लगातार संगीता की गर्दन पर चलाना शुरु कर दिया जिससे फिर तुरंत संगीता की गर्दन कट गई।   

लेकिन गर्दन कटने से पहले ही यानी मरने से पहले संगीता ने कहा था कि - तू जिस लालच की वजह से मुझे मार रहा है वो तेरा मंसूबा कभी नहीं पूरा हो पाएगा क्योंकि यह बंगला हमारा ही है और यहां कोई नहीं रह सकता तुम मुझे मार देगा लेकिन बाद में तू भी मारा जाएगा और मेरा श्राप है - यह आखरी आवाज ही थी संगीता की क्योंकि उसके बाद उसकी गर्दन कट चुकी थी और पूरे बेडरूम में खून ही खून हो गया था। उसके बाद उसके चीखने की वजह से उसके दोनों बच्चे भी जा चुके थे और उन्होंने देख लिया था कि उनकी मम्मी की हत्या कर दी है संजय ने।

उसके बाद संजय ने रश्मि और प्रिया की भी उसी हथियार  से उसी समय गर्दन धड़ से अलग कर दी। एक साथ तीन लोगों की हत्या करने के बाद उसने उन तीनों की आधी कटी लाश पास के ही साल जंगल में डाल दी। उसके बाद उनकी लाशों को तो जंगली जानवर खा गए और कानूनी रूप से भी संजय ने इस घर को अपना कर ही लिया था इसलिए पुलिस ने भी कोई ज्यादा इन्वेस्टिगेशन नहीं करा। लेकिन यह भी है की उस घटना के एक हफ्ते बाद ही पहले संजय प्रसाद फिर धीरे-धीरे जो भी उसके परिवार के लोग यहाँ रहते थे बीवी बच्चे सब की मौत हो गई है।

और उसके बाद यह बंगला बंद रहता था लेकिन संजय प्रसाद के भाई मनोज प्रसाद ने इस पगले को किराए पर देना शुरू कर दिया। लेकिन जिस भी व्यक्ति को उसने यह बंगला किराए पर दिया उस व्यक्ति की 5 से 6 दिन के अंदर ही मौत हो गई। - बाबा यह सारी बाते बता ही रहे थे की लेकिन यह सब बताते बताते हैं अचानक से उस बाबा की आवाज बदल गई और डरावनी खतरनाक और भयानक आवाज में बाबा बोलने लगे - और अब तुम सब की बारी है तुम भी मारे जाओगे अब तुम भी मरोगे - बाबा ने इतना ही बोला होगा प्रीति और संतोष ने उस बाबा के चेहरे की तरफ देखा तो दोनों के होश उड़ गए और दोनों की रगों में चलता खून फिर जम गया और बस प्रीति के मुँह से एक चिख निकल कर रह गई।

क्योंकि संतोष जिस बाबा को अपने साथ लेकर आया था देखते ही देखते हैं अब वो बाबा उसी कटे हुए सर वाली औरत में बदल गया। और फिर उसके बाद देखते-देखते उस ड्राइंग रूम में डरावनी हंसी की आवाज गूंजने लगी। फिर हंसते-हंसते अब बोल रही थी कि - बस आज तुम लोग मारे जाओगे अब नहीं बचेगा कोई,तुम यहाँ अपनी मर्जी से आए थे लेकिन अपनी मर्जी से जिंदा नहीं जा सकते क्यूंकि यह बंगला सिर्फ मेरा है सिर्फ मेरा इस बंगले में अगर और कोई यहाँ रहने की कोशिश भी करेगा तो बस वो मारा जाएगा - इतना बोलने के बाद उसी कटे सर वाली औरत ने संतोष को हवा में ही उठा लिया।

संतोष सीख चिल्ला रहा था और रहम की भीख मांग रहा था - छोड़ दो हमें छोड़ दो हमें - नेहा और प्रीति भी रो रहे थे लेकिन उन लोगों पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था संतोष को उसने हवा में ही उठाया हुआ था। और पूरे हॉल में उस कटे सर वाली औरत के हंसने की आवाज गूंज रही थी और वो कह रही थी - सब को मार देंगे हम अब कोई नहीं बचेगा - उसके बाद हवा में ही उठाते हुए संतोष को वो सिर कटी औरत ऊपर ही ऊपर तीसरे फ्लोर के ऊपर छत पर ले कर चली गई। प्रीति और नेहा भी सीडी से भागते हुए तीसरे फ्लोर की छत पर चले गए।

संतोष सीख चिल्ला रहा था -छोड़ दो छोड़ दो - तभी उस सर कटी औरत ने संतोष को उस तीसरी मंजिल की छत से नीचे सड़क पर ऊपर से ही छोड़ दिया। और उसके साथ संतोष की फिर वो एक आखरी जोरदार चीख निकल गई। यह देख कर प्रीति और नेहा दोनों ही बहुत जोर जोर से रोने लगे और उसके तुरंत वहाँ प्रीति नेहा को लेकर सीढ़ियों से नीचे की तरफ भागने लगी नीचे सड़क पर जाने के लिए। वो सीढ़ियों से लगातार नीचे उतर रही थी और उसने नेहा को गोद में उठाए हुए थी लेकिन तभी किसी ने प्रीति को उसके पैरों को ही पकड़ के ऊपर हवा में उठा लिया।

और तभी उसकी गोद से नेहा वही सीढ़ियों पर गिर गई। और उसके बाद वो सर कटी औरत प्रीति को भी बंगले के छत पर ले गई फिर उसने प्रीति को भी उस बगले से नीचे फेक दिया उसके बाद प्रीति की जोरदार तड़पने और चीखने की आवाज पूरे में गूंज गई पर प्रीति शायद काफी देर तक तड़पती रही और चिल्लाती रही लेकिन उधर पीछे की तरफ कोई ज्यादा आता जाता नहीं इसलिए किसी की नजर नहीं पड़ी और प्रीति ने भी वही अपना दम तोड़ दिया। पर नेहा अभी भी वहीं पर थी और रो रही थी। पर कुछ देर बाद लोगों ने सड़क की तरफ पीछे दो डेड बॉडी पढ़ी हुई देखी तो उन्होंने तुरंत उन्होंने पुलिस को इंफॉर्मेशन करा।

उसके बाद पुलिस ने वहाँ आकर जांच पड़ताल करी और लोगों ने भी बताया कि यह दोनों अभी इसी बंगले में नए आए थे। उसके बाद पुलिस ने मकान मालिक मनोज प्रसाद को बुलाकर फिर उन्होंने बंगले के अंदर देखा तो वहाँ अंदर एक छोटी बच्ची यानी नेहा की भी लाश सीढ़ियों पर ही पड़ी हुई थी आश्चर्य की बात तो यह थी कि नेहा का तो सर कटा हुआ था यानी उस सर कटी हुई औरत ने संतोष और प्रीति को उस बंगले से बाहर फेंक दिया और नेहा को अपने साथी रख लिया क्योंकि नेहा उनकी फ्रेंड थी। उसके बाद संतोष और प्रीति की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि इनकी मौत काफी ऊपर से गिरने से हुई है और नेहा की मौत गला काटने की वजह से हुई।

पुलिस इन्वेस्टिगेशन के बाद लगभग 2 साल तक वो बंगला बंद था। पर अब फिर से उस बंगले के मालिक ने अखबार में उस बंगले का एडवर्टाइजमेंट शुरू कर दिया। यह बंगला बहुत बड़ा और बहुत आलीशान है और देहरादून में सबसे कम किराए में है क्या आप भी यहाँ रहना चाहेंगे।


इस कहानी के लेखक हैं - रामचंद्र यादव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव


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