श्रापित बंगला E-9
जो सब प्रीति के साथ अभी थोड़ी देर पहले हुआ था वही सब बाते उसके दीमाग में चल रही थी। और यही सब सोचते सोचते जैसे तैसे उस रात तो उसकी आँख फिर से लगी है और वो सो गई। और फ़ोन की घंटी बचने की वजह से जब प्रीति की आँख खुली तो उसने देखा की अब उजाला हो गया था। और सामने घड़ी पर उसने समय देखा तो सुबह 8:30 बज रहे थे और फोन संतोष के स्कूल से प्रिंसिपल ने क्या हुआ था संतोष ने फोन जैसे ही रिसीव करा तो दूसरी तरफ से प्रिंसिपल की आवाज आई प्रिंसिपल ने कहा - संतोष सर तुम आज भी स्कूल नहीं आ रहे हो क्या - फिर संतोष ने प्रिंसिपल को यह कहकर मना कर दिया कि अभी उनकी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए हो 4 या 5 दिन तक स्कूल नहीं आ सकता।
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फिर प्रिंसिपल ने भी संतोष को कहा - चलो कोई बात नहीं आप आराम कर लो दवाई वगैरह ले लेना और जब ठीक लगे तब आ जाना कोई बात नहीं - उसके बाद संतोष ने प्रीति और नेहा दोनों को उठाया और कहा - देख लो अब आज कितनी देर हो गई है - फिर प्रीति ने कह - कल हम देर से घर लौटे और कल मेरी रात में कई बार आँख खुली इस वजह से आज बहुत लेट हो गई - फिर संतोष ने कह - चलो अब उठ जाओ - फिर संतोष ने अपनी बात जारी रखते हुए प्रीति से कह - तुम जब तक उठो और फ्रेश हो जाओ मैं बाहर दुकान से चाय बनाने के लिए दूध वगैरह ले आता हूँ उसके बाद आज हमें और कहीं भी घर देखना है और जब तक हमें दूसरा घर नहीं मिलता तब तक हम आज से ही अपना सामान वगैरह लेकर स्कूल के उस सरकारी रूम में ही शिफ्ट हो जाएंगे इसलिए जल्दी उठ जाओ -
इतना कह कर संतोष घर से बाहर रोड पर दुकान में चला गया दूध लेने के लिए। और जब संतोष वहाँ से वापस अपने घर की तरफ आ रहा था कि तभी उसने देखा एक साधु बाबा उनके गेट पर खड़े होकर लगातार उस बंगले के अंदर ही देख रहे थे। संतोष ने भी थोड़ी देर तक वही पर खड़े होकर उस बाबा को देखा तो उसे कुछ ठीक नहीं लग रहा था। क्यूंकि वो कुछ अजीब ही हरकत कर रहे थे उसके बाद संतोष बाबा के पास गया और उसने कह - हाँ बाबा क्या हुआ क्या देख रहे हो अंदर - फिर बाबा ने संतोष की तरफ देखा और कह - जो मैं देख रहा वो तुझे भी पता है फिर भी तू मुझसे पूछ रहा है बहुत खतरा है यहाँ सब की जान खतरे में है बचाना होगा सबको -
संतोष को उनकी बाते थोड़ी अजीब सी लग रही थी इसलिए फिर संतोष ने कहा - कैसी बातें कर रहे हो बाबा किसको बचाना होगा और क्या चाहिए तुम्हें मेरे पास अभी कुछ नहीं है चलो हटो आगे से अंदर जाने दो - लेकिन साधु बाबा ने फिर संतोष को कहा - जान कर भी इतना जान मत बनो नहीं तो बहुत भारी पड़ेगा तुमको अगर तुम खुद को और अपने बीवी बच्चों को बचाना चाहते हो तो इस संकट से तुम्हें बाहर आना ही होगा क्योंकि तुम सब एक बहुत बुरे चक्रव्यू में फंसे हुए हो। तुम इस बंगले में अपनी इच्छा से आ तो गए हो लेकिन अपनी इच्छा से शायद जा नहीं पाओगे -
संतोष पहले तो ऐसी किसी भी बातों पर और ऐसे किसी बाबाओं पर कभी भरोसा नहीं होता था। पर यहाँ आने के बाद जो सब उसकी बीवी और बेटी के साथ हो रहा था वो सब अब संतोष को बातों को मानने पर मजबूर कर रहे थे। उसके बाद संतोष ने तुरंत भागते हुए बाबा के पैर पकड़ लिए और कहा - बाबा मुझे माफ कर दो आपको कैसे पता कि हम इस बुरे संकट में फंसे हुए हैं और बाबा अब कैसे बचेंगे हम इस बुरे दौर से - फिर उन साधु बाबा ने बस एक ही बात कही - सबकी जिंदगी ऊपर वाले के हाथ में हैं उस पर भरोसा रखो कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता तुम्हारा चलो अभी देखते हैं -
उसके बाद संतोष बाबा को अपने साथी उस बगले के अंदर ले गया। संतोष और बाबा जैसे बंगले के अंदर जा रहे थे वैसे ही ऐसे लग रहा था जैसे बंगले के अंदर मानो किसी के चीखने और चिल्लाने की आवाज आने लगी हो - यह सब आवाज सुनकर संतोष बहुत डर गया उसके बाद संतोष घर के अंदर भागने लगा आवाज लगाने लगा - प्रीति नेहा प्रीति ठीक हो तुम - लेकिन तभी बाबा ने संतोष को पीछे से तुरंत पकड़ लिया और कहा - कुछ नहीं हुआ है बेटा तुम्हारी बीवी और बच्चे बिल्कुल ठीक है यह आवाज उनकी नहीं है यह आवाज तो उनकी है जिनका यह बंगला है जिनका यह घर है - फिर संतोष ने कहा - मैं कुछ समझा नहीं मतलब किसका घर है किसका बंगला है -
फिर बाबा ने कह - चलो अभी थोड़ी देर में बताता हूँ फिर तुम्हे सब पता चल जाएगा - बाबा ने इतना कहा उसके बाबा और संतोष घर के अंदर बरांडे में आ गए। बाबा के वहाँ पहुंचते ही चीखने और चिल्लाने की आवाज बहुत ज्यादा होने लगी। इससे पहले यह आवाजें संतोष को नहीं सुनाई देती थी बस प्रीति ही संतोष को बताते थी इन आवाजों के बारे में लेकिन जब आज बाबा को लेकर संतोष घर के अंदर यहाँ पर आया तब से उसे भी यह सब आवाजे सुनाई दे रही थी। संतोष और बाबा के वहाँ पहुंचने के थोड़ी देर बाद वहाँ प्रीति और नेहा भी आ गए।
उनके वहाँ आते ही संतोष ने प्रीति को बताया कि - प्रीति ये बाबा जी मुझे बाहर मिले थे और ये हमको इस घर में हो रही सभी समस्या से बचाने के लिए ही यहाँ पर आए हैं और बाबा को सब पता है यहाँ जो हो रहा है - यह सुनकर प्रीति रोने लगी और उसने तुरंत बाबा के पैर पकड़ लिया। और फिर उसने कह - बाबा आप बचा लो हमें और हमारी बच्ची को क्यूंकि जब से मैं इस बंगले में आई हूँ तब से मेरे साथ बहुत अजीब अजीब घटनाएं हो रही हैं यहाँ कोई है जो ककहता हैं की यह बंगला हमारा है और यहाँ कोई नहीं रह सकता यहाँ जो आता है वो फिर जिंदा वापस नहीं जाता और बाबा वो सब कहते हैं कि नेहा उनकी अब दोस्त है और अगर हम लोग उनको नेहा से अलग करेंगे तो वो हम सब को मार देंगे -
फिर बाबा ने प्रीति और संतोष नेहा तीनों को देखा और कह - सब ठीक हो जाएगा - फिर बाबा ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा - यह जो बंगला है यह उन्हीं लोगों का है आज से 25 साल पहले संगीता और उसकी दो बेटियां रश्मि और प्रिया यहाँ रहा करते थे वो तीनों बहुत खुश रहते थे।रश्मि और प्रिया इस पूरे बंगले में ऊपर नीचे खिला करते थे क्योंकि उनका ही घर था कुछ साल पहले उनके पिताजी की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी तब से संगीता ही अपने दोनों बच्चों को पढ़ाती और यहीं पर अपने बंगले में रहती थी संगीता के पास कोई काम वगैरह नहीं था इसलिए उसने नीचे पूरा ग्राउंड फ्लोर फर्स्ट सेकंड फ्लोर का हिस्सा किराए पर दे रखा था। किराए भी अच्छा खासा मिल जाता था जिससे संगीता का गुजर बसर हो जाता था लेकिन एक दिन ऐसा हुआ। अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं
इस कहानी के लेखक हैं - रामचंद्र यादव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव
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