साया डायन का E-6 | Hindi kahani | Hindi story my

 

साया डायन का E-6



मैंने जब बाबा से पूछा की - बाबा वो डायन कोट कैसे बना और वो डायन वहाँ कैसे फस गई - तो बाबा ने मुझे बताते हुए कहा - तो सुनो बेटा यह बात आज से लगभग 500 साल पहले की होगी तुम्हारे उसी गाँव में एक दिव्या नाम की लड़की रहा करती थी और उसकी उम्र उस समय लगभग 21 या 22 साल की ही रही होगी।
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पर उसकी जो माँ थी वो गाँव में जादू टोना करा करती थी वैसे उस समय तो गाँव में काफ़ी लोग थे जो जादू टोना करते थे पर सब चुप कर करा करते थे वैसे ही उसकी माँ भी चुपकर छोटे मोटे जादू टोना करा करती थी - फिर बाबा की बात बीच में ही काटते हुए मैंने कहा - पर बाबा वो सब जादू टोना चुपकर क्यों करते थे मेरा मतलब हैं कोई कुछ भी करें किसी को क्या -

फिर बाबा ने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा - वो बेटा इसलिए क्यूंकि वो सब काला जादू करा करते थे और भूतों और डायनो की पूजा करते थे - फिर बाबा को बीच में टोकते हुए मैंने कहा - पर बाबा भूतों और डायनो की पूजा कर के किसी को क्या मिलेगा मेरा मतलब हैं हम सब भगवान की पूजा करते हैं तो वो हमें सुख समृद्धि देते हैं मगर भूत डायन जैसे चीज किसी को क्या दे सकती हैं-

फिर बाबा ने कहा - यह जितने भी काले जादू वाले लोग होते हैं ना वो सब भूत, पिशाच या डायन की ही पूजा करते हैं क्यूंकि काला जादू लोगो का बुरा करने के लिए होता हैं और भगवान की पूजा से तो बस अच्छा ही होता हैं किसी का बुरा नहीं इसलिए वो सब भूतों इन सबकी पूजा करते हैं वैसे ही एक दिन दिव्या का माँ जहाँ अभी डायन कोट हैं वही डायन की पूजा कर रही थी पर तभी यह बात गाँव वालो को पता चल गई फिर उसके बाद गाँव के सभी लोग तुरंत वहाँ पहुचे और तुरंत दिव्या की माँ को पकड़ लिया जिसके बाद उन सबने दिव्या के पुरे परिवार को उसी जगह पकड़ कर लाए।

फिर उसके बाद जो उस समय गाँव के मुखिया थे यानी उसी आखरी वंशज के पूर्वज ने उसके पुरे परिवार को वही मार कर दफना दिया था। पर दिव्या जो थी वो एक डायन की बेटी थी मतलब वो डायन के वरदान से पैदा हुई थी इसलिए वो मरने के बाद एक डायन बन गई - फिर बाबा को बीच में ही रोकते हुए मैंने कहा - पर बाबा वो एक ही जगह में कैसे फस गई -

फिर बाबा ने कहा - दिव्या मरने के बाद जैसे ही डायन बनी उसने वैसे ही पुरे गाँव में मौत का एक खेत सा चला दिया उसकी मौत के कुछ दिन बाद से ही रोज गाँव में वो किसी ना किसी की जान जरूर लेती और उसी बीच में उसने मुखिया के पुरे परिवार को भी मार दिया - बाबा के इतना बोलते ही मैंने बाबा को बीच में फिर रोका और कहा - पर बाबा आपने तो कहा था अभी भी उस मुखिया का आखरी वंशज बचा हुआ हैं पर अब कह रहे हैं की उसने पहले ही मुखिया के पुरे परिवार को मार दिया था तो वो आखरी वंशज कौन हैं जिसको अभी भी वो डायन ढूंढ रही हैं -

फिर बाबा ने कहा - अरे बेटा पहले पूरी बात तो सुन लो उसने मुखिया के पुरे परिवार को तो मार दिया था पर उस समय उसका एक बेटा आपने ससुराल गया हुआ था जिससे मुखिया का बेटा और उसकी बहु बच गए थे। और जब मुखिया के बेटे को उसके गाँव की पूरी खबर मिली तब मुखिया का बेटा आपने गाँव जा ही रहा था तभी उसे रास्ते में ब्रिचनाथ बाबा मिले ब्रिचनाथ बाबा का नाम शायद तुमने भी सुना होगा अगर नहीं सुना तो मैं बता दू ब्रिचनाथ बाबा इतने शक्तिशाली थे की वो सभी देवी देवता से बात करते थे।

ब्रिचनाथ बाबा जैसे ही मुखिया के बेटे से मिले तो उन्होंने सारी बाते आपने आप पता चल गई क्यूंकि वो अन्तर्यामी थे और उन्होंने ये भी पता चल गया की मुखिया का बेटा वहाँ गया तो उसको भी वो डायन मार देगी इसलिए ब्रिचनाथ बाबा भी उसके साथ ही चले आए क्यूंकि बस मुखिया के बेटे की ही जान खतरे में नहीं थी बल्कि पुरे गाँव की जान खतरे में थी और सभी की जान बचाने के लिए ब्रिचनाथ बाबा तुरंत उसके साथ उस गाँव में गए तो उनसे भी वो डायन जल्दी से काबू में नहीं हो रही थी

क्यूंकि दिव्या एक डायन की बेटी थी और मरने के बाद वो और भी ज्यादा शक्तिशाली डायन बन चुकी थी और ऊपर से उसे बदला भी लेना था इसलिए उसे काबू करना ब्रिचनाथ बाबा के लिए भी कठिन हो रहा था पर किसी तरह से बाबा ने उसे काबू तो कर लिया पर जहाँ दिव्या को दफनाया गया था गया था उसकी आस पास जगहों पर बाबा काबू नहीं कर पाए थे जिसकी वजह से वो जगह  डायन कोट बन गई और वो डायन भी वही फस कर रह गई।

पर जब उस मुखिया के बेटे का बेटा हुआ तब उस डायन ने किसी का इस्तेमाल के के उसे उस डायन कोट में बुला लिए जिसके बाद उस डायन ने उसे भी मार दिया। ऐसे करते करते वो मुखिया की हर पीडी में से किसी ना किसी को जरूर मार देती हैं और बस मुखिया का वो आखरी वंशज ही बचा हैं पर इस बार जो वो आखरी वंशज हैं वो महादेव के वरदान से पैदा हुआ था और उसकी पीठ पर एक त्रिशूल का निशन हैं। इस बार मुखिया का वो आखरी वंशज उस डायन कोट में जाएगा तो पर इस बार या वो डायन मरेगी या फिर वो आखरी वंशज।

महादेव ने इस बार उसे इसलिए ही धरती पर भेजा हैं की वो उस डायन को मार सकें क्युकी वो डायन अब तक बहुत सारे लोगो की जान ले चुकी हैं। और ऐसा जभी भी धरती में होता हैं तब भगवान खुद आते हैं या फिर आपने किसी दूत को धरती की रक्षा करने के लिए भेजते हैं और इस बार इस काम के लिए भगवान ने मुखिया के उस आखरी वंशज को चुना हैं - बाबा की सारी बाते सुनने के बाद फिर मैंने कहा - पर बाबा आपको यह सारी बाते कैसे पता चली -

फिर बाबा ने कहा - क्यूंकि बेटा मैं उन्ही ब्रिचनाथ बाबा का शिष्य हूँ और उन्ही ने मुझे यह सब बाते बताई हैं - बाबा की बात सुनकर फिर मैंने बड़ी ही हैरानी के साथ कहा - बाबा पर आपने तो कहा था वो ब्रिचनाथ बाबा 500 साल पहले थे तो आप उनके शिष्य कैसे हो सकते हो - फिर बाबा ने थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कहा - बेटा क्यूंकि ब्रिचनाथ बाबा ने 600 वर्ष की उम्र में आपने शरीर का त्याग करा था और उन्होंने जब उस डायन को काबू करा था तब उनकी उम्र 100 वर्ष से भी ज्यादा थी और हाँ मैं ही उनका आखरी शिष्य हूँ -

बाबा की बाते सुनने के बाद मैंने फिर हैरानी के साथ कहा - बाबा पर कोई 600 साल तक कैसे जिन्दा रह सकता हैं मैंने तो आज तक कभी ऐसा कभी नहीं सुना - फिर बाबा ने कहा - बेटा क्यूंकि वो एक महान तपस्वी थे और हमारे हिन्दू धर्म में ऐसे बहुत सारे तपस्वी हुए हैं जो हजारों साल तक जीवित रहे हैं और ब्रिचनाथ बाबा भी उन्ही में से एक हैं - रजत ने अवनीत को बाबा की सारी बात बता जो उसे बाबा ने एक पहले बताई थी फिर उसके बाद अवनीत की सारी बात सुनी और बड़ी हैरानी के साथ कहा - भाई तू मुझे ले चलेगा उन बाबा के पास क्यूंकि भाई।
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं.



इस कहानी के लेखक हैं - शिव


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