साया डायन का E-7 | New Hindi Horror story | Hindi story my

 

साया डायन का E-7


रजत ने अवनीत को बाबा की सारी बात बता जो उसे बाबा ने एक पहले बताई थी फिर उसके बाद अवनीत की सारी बात सुनी और बड़ी हैरानी के साथ कहा - भाई तू मुझे ले चलेगा उन बाबा के पास - फिर रजत ने कहा - पर क्यों तू क्या करेंगा वहाँ जाकर वैसे भी तुझे इन सब बातों में विश्वास कहाँ हैं - रजत के इतना बोलने के बाद अवनीत अपनी जगह से उठता हैं और पीठ रजत की ओर करके अपनी शर्ट खोलने लगता हैं।
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फिर उसके बाद अवनीत जैसे ही अपनी शर्ट पूरी निकालता और जैसे ही रजत उसकी पीठ की तरफ देखता हैं तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती हैं। फिर उसके बाद रजत अपनी आँखे बड़ी बड़ी करते हुए बड़ी ही हैरानी के साथ बोलता हैं - भाई इसका मतलब तू ही हैं वो मुखिया का आखरी वंशज यानी वो डायन तुझे ही ढूंढ रही हैं - फिर अवनीत बोलता हैं - भाई मुझे भी अभी ही तेरी बात सुनकर पता चला क्यूंकि मेरे पीठ पर यह त्रिशूल निशान पैदाइशी हैं यानी मेरी ही वजह से नागिन पागल हो गया हैं -

फिर रजत ने कहा - अबे भाई इसमें तेरी कोई गलती नहीं हैं तुझे तो अभी ही पता चला हैं तू इस बारे में ज्यादा मत सोच और हाँ चल कल सुबह होते ही हम दोनों उन बाबा के पास चलेंगे फिर वही बताएंगे की आगे अब क्या करना हैं - रजत की बात खत्म होते ही फिर अवनीत ने कहा - पर भाई मेरे पूर्वज की एक गलती की वजह से पुरे गाँव के लोग परेशान हैं गाँव के पता नहीं कितने परिवार ने आपने लोगो को खोया हैं काश मेरे पूर्वज बस दिव्या की माँ को कोई छोटी मोटी सजा दे देते उसके पुरे परिवार को मारने की क्या जरूर थी -

फिर रजत, अवनीत को समझाते हुए बोलता हैं - भाई तू समझ क्यों नहीं रहा इसमें तेरी कोई गलती नहीं हैं और वैसे भी अब हम इतिहास तो बदल नहीं सकते इसलिए भाई इस बारे मैं अब ज्यादा मत सोच कल सुबह बाबा से बात करेंगे फिर देखते हैं वो क्या बोलते हैं - रजत और अवनीत बात कर ही रहे थे तभी अवनीत के घर के दरवाजे को कोई बहुत बहुत तेज तप तपाने की आवाज आती हैं। अवनीत आवाज सुनकर बोलता हैं - अरे इतना कौन होगा इतनी रात को -

फिर रजत बोलता हैं - हाँ यार तेरा घर तो 10 साल से बंद था फिर कौन हो सकता हाँ क्या पता हो सकता हैं की कोई तेरा रिस्तेदार हो और उसे पता चला हो की तू गाँव आया हुआ हैं तो क्या पता तुझसे मिलने आया हो - फिर अवनीत बोलता हैं - क्या पता हो सकता हैं पर मैं तो अपने किसी रिस्तेदार को तो जानता भी नहीं - दोनों यही सब बाते कर ही रहे थे तभी अवनीत के घर के बाहर जो भी था वो दरवाजा बहुत जोर जोर तप तपाने लगता हैं।

आवाज तेज होते ही अवनीत अपनी जगह से उठता हैं और दरवाजे की ओर जाने लगता हैं और उसके पिछे पिछे रजत भी जाने लगता हैं। और जैसे अवनीत ने अपने घर का दरवाजा खोला तो पिछे खड़े रजत की आँखे फटी की फटी रह गई क्यूंकि उसने देखा बाहर बिर्जेश खड़ा था उसे देखते ही फिर रजत ने तुरंत कहा - अबे बिर्जेश यहाँ क्या कर रहा हैं - फिर उसके बाद बिर्जेश ने अवनीत का हाथ पकड़ा और कहा - वो तुम्हे बुला रही हैं जल्दी चलो - फिर अवनीत ने कहा - कौन बुला रही हैं -

फिर बिर्जेश ने कहा - वही जो तुम्हारा इंतजार कर रही हैं - बिर्जेश की यह बात सुनकर अवनीत और रजत समझ तो गए थे की बिर्जेश किसकी बात कर रहा हैं पर फिर भी अवनीत के पिछे से रजत ने कहा - कौन इंतजार कर रही हैं - फिर उसके बाद बिर्जेश ने जो कहा उसे सुनकर तो अवनीत और रजत के होश ही उठ गए क्यूंकि बिर्जेश ने कहा - दिव्या -
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।


इस कहानी के लेखक हैं - शिव


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