साया डायन का E-5 | Dayan ki Bhayanak kahani | Hindi story my

 

साया डायन का E-5


फिर उसके बाद बिर्जेश के घर वाले उसे तुरंत पास के ही गाँव में ले गए जहाँ एक तांत्रिक बाबा रहा करते हैं और मैं भी उस समय उनके साथ ही था। और हम वहाँ जैसे ही पहुचे तो तांत्रिक बाबा ने उसे देखकर जो हमें बताया उससे तो हमारे होश ही उठ गए क्यूंकि उन्होंने कहा - इस लड़के को अब ठीक नहीं करा जा सकता क्यूंकि इस पर साया डायन का हैं उसी डायन का जो उस डायन कोट में हैं और वो डायन बहुत ज्यादा शक्तिशाली हैं -
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बाबा की बात खत्म होते ही फिर बिर्जेश के पिता जी ने अपने दोनों हाथ जोड़कर बाबा से कहा - बाबा जी आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं आपके लिए तो यह आम बात हैं आप तो ऐसे बहुत से लोगो को पहले ही ठीक कर चुके हैं बाबा जी आप मेरे बेटे को भी ठीक कर दीजिये - फिर बाबा ने कहा - अरे बेटा किसी भूत या फिर कोई आम डायन का साया होता तो मैं इसे जरूर ठीक कर देता पर बेटा इस डायन कोट की डायन बहुत ज्यादा शक्तिशाली हैं उसके साये से इसे बचा पाना मेरे बस में नहीं -

बाबा की सारी बात सुनने के बाद जब बिर्जेश के घर वाले सब वहाँ से चले गए पर मैं बाबा के पास ही रुका रहा और सबके वहाँ से जाते ही मैं बाबा के पास गया और बोला - बाबा जी क्या मैं आप से एक बात पूछ सकता हूँ - फिर बाबा ने कहा - हाँ बिलकुल बेटा पूछो क्या पूछना हैं आपको - फिर मैंने कहा - बाबा जी मुझे एक बात अब तक समझ में नहीं आई की उस डायन को में जो भी जाता हैं उसकी मौत हो जाती हैं पर बिर्जेश वहाँ से रात में तो बिलकुल ठीक तक आया और सुबह होते ही उसके साथ यह सब हो गया

मतलब बाबा जी मैं यह कहना चाह रहा हूँ की उस डायन ने बिर्जेश को क्यों नहीं मारा क्यूंकि उसने उससे पहले तो कभी किसी को जिन्दा नहीं छोड़ा - फिर मेरी बात खत्म होते ही बाबा ने कहा - क्यूंकि बेटा वो डायन इस लड़के के जरिए किसी को अपने पास बुलाना चहती हैं - फिर बाबा की बात बिज में ही काटते हुए मैंने कहा -बाबा वो किसको बुलना चहती हैं - फिर बाबा ने कहा - जिसकी वजह से वो डायन कोट बना हैं - फिर मैंने कहा - पर बाबा वो डायन कोट तो बहुत पुराना हैं लगभग 500 या 600 साल पुराना तो होगा ही क्या जिसकी वजह से वो डायन कोट बना वो अभी भी जिन्दा होगा -

फिर बाबा ने कहा - ना पर जिसकी वजह से वो डायन कोट बना हैं उसका आखरी वंशज अभी भी जिन्दा हैं और उसको मारने के बाद ही उस डायन का बदला पूरा होगा और तभी उस डायन कोट से उस डायन को मुक्ति मिलेगी - बाबा की बाते सुनने के बाद फिर मैंने कहा - पर बाबा बिर्जेश की मदद से वो कैसे उस आखरी वंशज तक पहुंच सकती हैं क्यूंकि उसने तो बिर्जेश को पहले ही पागल कर दिया हैं तो बिर्जेश कैसे उसकी मदद कर सकता हैं -

फिर मेरी सारी बात सुनने के बाद बाबा ने कहा - वो तो वही जानती हैं की वो बिर्जेश की मदद कैसे लेगी - फिर मैंने कहा - बाबा उस जगह में ऐसा क्या हुआ था की वो जगह डायन कोट बन गई और उस आखिर वंशज के पूर्वजो ने ऐसा क्या करा था उस डायन के साथ जो वो अभी तक आखिर वंशज को ढूंढ रही हैं - मेरी सारी बात सुनने के बाद फिर बाबा ने कहा - तो सुनो बेटा यह बात लगभग आज से 500 साल पहले की होगी - रजत, अवनीत को डायन कोट की सारी बाते बता ही रहा था तभी वो दोनों बाइक से अवनीत के घर तक पहुंच जाते हैं और तभी अवनीत,रजत की बात बीच में ही काटते हुए बोलता हैं - चल भाई अब बस कर अपनी इस डायन कोट की बात चल अब घर आ गया -

फिर रजत ने कहा - अबे भाई पहले पूरी बात तो सुन ले - फिर रजत की बात बीच में ही काटते हुए अवनीत ने कहा - अरे यार बस कर मुझे अभी खाना भी बनाना हैं - फिर रजत ने कहा - चल यार आज मेरे घर खाना खा लियो - फिर अवनीत ने कहा - ना यार कब तक दुसरो के घर में खाऊँगा इसलिए ही तो में शहर से अपने अंकल आंटी के घर से यहाँ आया हूँ उन्होंने भी मुझे 10 सालो से पाला पर कब तक मैं उनपर बोझ बना रहता पिता जी के खत्म होने के बाद से ही उन्होंने ने ही पाला हैं पर अब समय आ गया हैं की मैं खुद कुछ करू वैसे भी गाँव में अपना घर खेत सब हैं -

अवनीत 10 साल से अपने अंकल आंटी के घर में इसलिए रहता था क्यूंकि 10 साल पहले उसके पिता जी की मौत हो गई थी और उसकी मम्मी की मौत लगभग 12 साल पहले ही हो गई थी। और उन दोनों की मौत के बाद से ही अवनीत घर में अकेला रह गया था फिर उसके बाद से ही उसके अंकल उसे अपने साथ शहर लेकर चले गए थे। अवनीत जैसे ही अपने घर जा रहा था तभी रजत ने अवनीत के पिछे से ही कहा - रुक भाई आज मैं भी तेरे ही घर पर रुकता हूँ थोड़ी बाते वाते करेंगे दोनों रात भर - फिर अवनीत ने कहा - हाँ ठीक हैं पर तू अपने घर में क्या बोलेगा -

फिर रजत ने कहा - यही की मैं आज तेरे घर में ही रुकूंगा चल अब जल्दी पहले तेरे साथ खाना बनवाता हूँ - फिर अवनीत ने कहा - अबे तू बनवाएगा तुझे आता भी हैं खाना बनाना - फिर रजत ने कहा - अबे भाई तुझे पता क्या हैं अभी मेरे बारे में जब किसी की गाँव शादी होती हैं ना तो सब मुझे ही बुलाते हैं जल्दी से खाना बनाने के लिए - फिर अवनीत ने कहा - अच्छा चल अब घर के अंदर भी आएगा या बाहर ही खाना बना देगा - इतना बोलकर अवनीत अपने घर का ताला खोल कर अपने घर के अंदर चले जाता हैं और रजत भी इसके पिछे पिछे उसके घर के अंदर जाता हैं और बोलता हैं - अरे वा भाई तुने तो पूरा घर साफ़ कर दिया हैं -

फिर अवनीत बोलता हैं - हाँ भाई कल का पूरा दिन लग गया था मेरा घर साफ़ करने में - फिर रजत ने कहा - अबे भाई मुझे बुला लेता मैं तेरे साथ सफाई करा देता - फिर अवनीत ने कहा - पर यार कैसे बुलाता तुझे मेरे पास तेरा नम्बर ही नहीं था चल अब यह बाते बाद में करेंगे पहले चल खाना बना लेते हैं - अवनीत के इतना बोलने के बाद दोनों अवनीत के किचन में जाकर खाना बनाने लगते हैं। दोनों खाना बना ही रहे थे तभी अवनीत ने कहा - अच्छा भाई वैसे जो तू वो डायन कोट वाली बात बता रहा था तो तू यह बताने वाला था ना की वो डायन कोट कैसे बना और उस डायन के साथ ऐसा क्या हुआ था जो वो हमेशा के लिए वही फस गई -

फिर रजत ने कहा - अरे अभी तो तुझे उस डायन कोट की कोई बात नहीं करनी थी पर अब खुद ही वहाँ के बारे में पूछ रहा हैं - फिर अवनीत ने कहा - अरे बता ना अब अब तो मैं पूछ रहा हूँ - फिर रजत ने कहा - तो सुन भाई जब मैंने बाबा से पूछा की - बाबा वो डायन कोट कैसे बना और वो डायन वहाँ कैसे फस गई - तो बाबा ने मुझे बताते हुए कहा - तो सुनो बेटा यह बात आज से लगभग 500 साल पहले की होगी तुम्हारे उसी गाँव में एक दिव्या नाम की लड़की रहा करती थी.
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।


इस कहानी के लेखक हैं - शिव

इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव 


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