कौन हैं वहाँ
मेरा नाम राजू हैं मैं आज आपको जो घटना बताने जा रहा हूँ यह बात तब की हैं जब देहरादून के बॉयस हॉस्टल में मेरा चौकीदार के रूप में पहला दिन था। उससे पहले मैं उसी हॉस्टल में खाना बनाया करता था पर वहाँ खाना बनाने वालो की संख्या बड़ गई थी इस वजह से आधे कर्मचारियों को अलग अलग कामों में बाट दिया था और मुझे चौकीदार का काम दिया गया पर मुझे वहाँ रात को चौकीदारी करनी थी।
वो हॉस्टल देहरादून के उस तरफ था जहाँ ज्यादा तर जंगल ही था इसलिए मुझे अपना वो रात वाला काम पसंद नहीं आ रहा था क्यूंकि वहाँ कभी कभी जंगली जानवर भी आ जाते थे। जंगली जानवर तक तो ठीक था पर ऊपर से लोगो द्वारा इस हॉस्टल की जो बाते मैंने सुनी थी वो मुझे कही ना कही बैचैन कर रही थी क्यूंकि लोगो का कहना था की उन्होंने इस हॉस्टल में रात में भूतों को कई बार खुमते देखा हैं।
वैसे मैं उस समय ज्यादा तो भूतों पर विश्वास नहीं करता था पर जब एक ही बात कई लोग आकर बताते हैं तो विश्वास अपने आप हो जाता हैं। यहाँ तक तो भी ठीक था पर मेरा एक दोस्त जो इस हॉस्टल में चौकीदार का काम था पर एक दिन उसे उस हॉस्टल में उसकी मरी हुई बीवी वहाँ खुमती हुई दिख रही थी और वो उसे अपने साथ चलने को बोल रही थी। वो कहता हैं की उस दिन तो उसकी जान तो किसी तरफ बच गई थी और इसी वजह से उसने उस दिन से यहाँ से काम भी छोड़ दिया था। और अब मुझे भी उसी हॉस्टल में रात जग कर बितानी थी यही सब सोच कर में घबराए जा रहा था। पर फिर भी उस दिन में हिम्मत कर के रात के 8 बजे हॉस्टल में पहुंच गया।
क्यूंकि मेरी ड्यूटी का टाइम रात के 8 बजे से सुबह 8 बजे तक था मैं जैसे ही वहाँ पंहुचा तभी महेश ने मुझे कहा - अरे भाई राजू तुम आ गए - फिर मैंने कहा - हाँ भाई - फिर महेश ने कहा - अच्छा भाई तो अब मैं चलता हूँ
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फिर उसके बाद महेश वहाँ से चला गया और मैं आकर हॉस्टल गेट पर बैठ गया उस समय तो सब ठीक था और मुझे अब ऐसा लगने लगा था की जो सारी बाते मैंने इस हॉस्टल के बारे में सुनी थी वो सब बकवास हैं। पर उसके बाद जो मेरे साथ हुआ उसने मेरी राए तुरंत बदल थी क्यूंकि रात के लगभग 11 बज रहे होंगे की तभी मैंने देखा एक बड़ी तेज रौशनी उठने लगी पर रौशनी हॉस्टल के पिछे से आ रही थी रौशनी ऐसी थी जैसे किसी ने हॉस्टल के पिछे आग जला रखी हो।
और यही देखने के लिए मैं अपनी जगह से उठा हॉस्टल के पिछे जाने लगा। पर जैसे ही मैं वहाँ पहुंचा तो वो जो रौशनी उठ रही थी अब ना तो वो रौशनी थी और ना ही वहाँ कोई आग जल रही थी। मैं वहाँ खड़े खड़े बस यही सोच रहा था की यह कैसे हो सकता हैं क्यूंकि अभी थोड़ी देर पहले इतनी तेज रौशनी उठ रही थी की ऐसा लग रहा जैसे किसी ने बहुत तेज आग जला रखी हो। पर अब वहाँ ऐसा कुछ भी नहीं था मैं यही सब सोच रहा की तभी मैंने जो देखा उसे देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गई। क्यूंकि मैंने देखा एक कमंडल हवा ने अपने आप उड़ा जा रहा था और उस कमंडल के पिछे पिछे एक आग की ज्योति चले जा रही थी।
और कमंडल और वो आग की ज्योति कभी आगे की ओर जाती तो कभी पिछे की ओर वापस आ जाती । और मैं बस खड़े खड़े उसे देखे ही जा रहा था मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की यह क्या हो रहा हैं। और उसके बाद 5-6 चक्कर लगाने के बाद वो आग की ज्योति और कमंडल गायब हो गया। उसके बाद मैं भी अपनी जगह पर जाकर बैठ तो गया पर मैं अभी भी उसके बारे में ही सोच रहा था जो मैंने अभी थोड़ी देर पहले देखा था क्यूंकि जो मैंने देखा था उस पर मुझे विश्वास करना मुश्किल सा हो रहा था।
पर उसके बाद मेरे साथ जो हुआ उसके आगे तो जो मेरे साथ अभी तक हुआ था वो तो कुछ भी नहीं था। मैं अपनी जगह पर बैठे बैठे यही सब सोच रहा था की तभी मुझे ऐसी आवाज आने लगी जैसे हॉस्टल में घोड़ा दौड़ रहा हो। आवाज सुनकर मैं भी अपनी जगह से तुरंत उठ गया और हॉस्टल में इधर उधर जाकर देखने लगा पर मुझे हॉस्टल में कही भी ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा था जहाँ से वो आवाज आ रही हो पर मुझे अभी भी वो आवाज सुनाई दे रही थी।
और मैं भी हॉस्टल के हर तरफ जाकर उस आवाज का पीछा करने की कोशिश कर रहा था। और मुझे जब वहाँ कोई नहीं दिखा तो मैं अपनी जगह पर फिर वापस जैसे ही गया तो जो मैंने वहाँ देखा उसको देखकर मेरे शरीर में डर की के बड़ी भयानक सी लेहर सी जलने लगी और मेरे हाथ पैर डर के मारे कापने लगे।
क्यूंकि मैंने देखा हॉस्टल के गेट के पास एक घोड़ा चक्कर लगा रहा था और उस घोड़े पर एक बिना सर वाला आदमी बैठा हुआ था। और जैसे ही मैं वहाँ पहुंचा तो शायद उस बिना सर वाले आदमी को पता चल गया की मैं उन्हे देख रहा हूँ। और तभी उस बिना सर वाले आदमी ने अपना घोड़ा रोका और मेरी ओर अपना घोड़ा घुमा लिया और मेरी ओर आने लगा। पर पता नहीं उस समय मुझे क्या हो गया था की उसको अपनी ओर आते देख भी मैं वहाँ से भाग नहीं रहा था।
और देखते देखते वो आदमी ने अपना घोड़ा मेरे पास आके रोका और अपने घोड़े से नीचे नीचे उतर कर उसने अपनी तलवार निकाल ली। सच बताऊ तो उस समय मुझे ऐसा लगने लगा था की जैसे वो दिन मेरा आखरी दिन हैं। क्यूंकि एक बिना सर वाला आदमी अपनी तलवार हाथ में लिए मेरे सामने खड़ा था और उसने जैसे ही अपनी तलवार ऊपर उठाई वैसे ही मैंने अपने हाथ जोड़ लिए और अपनी आँखे बंद करके उसके पैरो में गिर गया।
पर जब काफ़ी देर तक कुछ नहीं हुआ तो उसके बाद जैसे ही मैंने अपनी आँख खोली तो वो आदमी और वो घोड़ा जैसे वहाँ गायब से हो गए क्यूंकि वहाँ अब कोई नहीं था। और उस घटना के बाद मैंने उस हॉस्टल में काफ़ी समय तक चौकीदार का काम करा पर मुझे हर रात को वो ज्योति और बिना सर वाला आदमी जो घोड़े पर आता था वो मुझे हर रात को दिखते थे और उनके आते ही मैं अपने हाथ जोड़ लेता और वो भी अपने चक्कर लगा कर वहाँ से वापस चले जाते थे।
