5 New horror stories | Hindi Darawni Kahaniya | bhutiya kahani

 

5 न्यू हॉरर स्टोरी


 1. मज़ाक पड़ा भारी


देहरादून का काट बंगला इलाका दिन 22 दिसंबर 2017 उस दिन मोहनलाल की मृत्यु हो गई थी। मोहन जी इलाके के एक दुकानदार थे मोहन को अंतिम विदाई देने के लिए इलाके के सभी लोग जमा हो रखे थे। मेरा नाम राहुल है मैं और मेरे सभी दोस्त भी मोहनलाल जी की अंतिम यात्रा में शामिल थे। मोहनलाल के पार्थिव शरीर को बस से हरिद्वार के श्मशान घाट ले जाया जा रहा था। फिर लगभग 2 घंटे के सफर के बाद हम हरिद्वार के श्मशान घाट पहुंच चुके थे।


फिर उसके बाद पूरे विधि विधान से मोहन का अंतिम संस्कार हुआ वहाँ पर मैं और मेरे दोस्त सोनू, अमित और नितिन हम सभी श्मशान घाट में हर तरफ घूम रहे थे। हम सभी लाशों को देख रहे थे हमने देखा सैकड़ों चिता जल रही है। श्मशान घाट में हम फोटो खींच रहे थे उनकी और कुछ की वीडियो भी बना रहे थे। हमारे साथी जो मोहन की डेड बॉडी लेकर आए थे वो सब मोहन की चिता के पास ही थे लेकिन हम लोग इधर-उधर घूम रहे थे की तभी मेरे दोस्त सोनू ने मुझसे कहा - राहुल तू अपने आप को बहुत निडर समझता है ना - मैंने ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा - हाँ तो - फिर सोनू अपनी बात जारी रखते हुए बोलता हैं - तो तेरे अंदर हिम्मत है तो तू यहाँ से किसी भी एक चिता से थोड़ी सी राख अपनी जेब में लेकर जा सकता है क्या -


फिर मैंने कहा - इसमें कौन सी बड़ी बात है - सोनू ने फिर से कहा - ले जा चल आज 5 हज़ार की शर्त है - फिर मैंने ने कहा - ठीक है - इतना बोलकर मैंने फिर एक मुट्ठी राख उठाई और उसको एक प्लास्टिक की थैली में डाल के अपनी जैब में रख लिया। राख जेब में रखने के बाद मैं सोच रहा था की - अभी रखा है थोड़ी देर में निकाल कर फेंक दूंगा क्या हुआ - फिर उसके बाद हम सभी वहाँ चले गए जहाँ पर मोहन की चिता जल रही थी चिता अब जल चुकी थी लगभग और सभी क्रिया कर्म भी पूरे हो चुके थे जो साथ में आए थे तभी सब ने कहा - चलो अब गंगा स्नान करने चलते हैं - मैंने और मेरे सभी दोस्तों ने गंगा स्नान किया और सभी के साथ बस में बैठकर अपने घर रवाना हो गए।


हमें घर पहुंच ने में लगभग 7:00 बज चुके थे खाना तो हम लोग वहीं पर सब खाकर आए थे। और पता नहीं क्यों जब से हम वहाँ से आये थे तब से ही मेरे सर में हल्का हल्का दर्द हो रहा था इसी वजह से मैं घर जाते ही अपने बिस्तर में लेट गया। लेटे हुए अभी 15 मिनट हुए होंगे कि मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं बहुत सारे अजीब-अजीब लोगों के बीच मैं हूँ और सभी लोग अजीब तरह की आवाज कर रहे थे। मैं अब बहुत डर चुका था और मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई आग से जला हुआ आदमी मेरे पास खड़ा है और एक तो सर कटा हुआ था वहाँ जितने भी लोग मुझे दिख रहे थे वो सब विचित्र हालत में थे।


मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मैं भूत परिजनों के बीच पूरी तरह से फसा हुआ हूँ। पर तभी थोड़ी देर बाद मेरी पत्नी मेरे कमरे में आई और मेरी पत्नी ने देखा कि मेरी आँखे बहुत अजीब हो रखी हैं और मैं बड़ी बुरी तरह से अपनी पत्नी घूर रहा था। फिर उसके बाद मेरी पत्नी मेरे थोड़ा और पास आई और मुझसे बोली - राहुल क्या हुआ ठीक हो तुम - उसके इतना बोलने के बाद मैं जो नहीं बोलना चाहता था वही शब्द मेरे मुँह से निकल रहे थे मैंने कहा - इसे लेकर जाऊंगा यह मुझे लेकर आया है अब यह भी मेरे साथ जाएगा यह अब मेरा हो गया - मेरी पत्नी मेरी बात सुनकर पूरी तरह से डर चुकी थी उसने तुरंत मेरे पापा मम्मी और घर के सभी लोगों को बुला लिया और मेरे पापा मेरे पास आकर बड़ी जोर से बोले - राहुल क्या हुआ तू ठीक तो हैं -


मेरे पापा के इतना बोलने के बाद भी मैं कुछ नहीं बोल पा रहा था बस मैं सबको पड़ी भयानक निगाहों से देख रहा था। तभी पता नहीं मुझे क्या हुआ मैं ऐसा कुछ करना भी नहीं चाहता था लेकिन मेरे हाथों या मेरे शब्द मेरा कोई काबू नहीं था। तभी मैं एकदम से अपनी जगह से उठा और तुरंत अपने पापा का गला पकड़ लिया फिर मैंने कहा - मैं सबको मार दूंगा और सब को ले चलूंगा अपने साथ - फिर उसके बाद मेरे पापा ने मुझे झटका और कहा - कौन है तू - फिर मैंने कहा - यह मुझे लेकर आया है और अब मैं इसको लेकर जाऊंगा अब यह बस मेरा है अगर कोई हमारे बीच में आया तो मैं उसको भी मार दूंगा और उसे भी अपने साथ लेकर जाऊंगा मैं सबको मार दूंगा आज मैं सबको मार दूंगा -


उस दिन मैं ऐसे ही जोर जोर से चिल्ला रहा था मैं मेरे घर के सब लोग बहुत ज्यादा डर चुके थे। मेरी मम्मी भी मुझे ऐसे देख रोने लगी थी ऐसे ही समय बीत गया फिर उसके बाद लगभग 10:30 बजे जब मेरी हालत में कुछ फर्क नहीं पड़ा तब मेरे पापा तुरंत मोहल्ले के एक बाबा के पास गए बाबा ने भी देरी नहीं लगाई और वो भी तुरंत हमारे घर आ गए। बाबा को देखकर मेरे मुंह से तुरंत मैंने कहा या फिर यह बोले जो मेरे अंदर था उसने कहा - सबको मार दूंगा आज मैं और सब को अपने साथ लेकर चलूंगा मुझे यह लेकर आया है और अब मैं इसे लेकर जाऊंगा यह अब सिर्फ मेरा है - मेरे इतना कहने के बाद मैं अपना सर बड़ी तेज-तेज दीवार से मारने लगा।


तभी बाबा ने तुरंत मेरे पास आकर मुझे पकड़ लिया और बड़ी जोर से चिल्लाते हुए कहा - कौन है तू और कहाँ से आया है - लेकिन उसके बाद भी मेरे मुँह से सिर्फ एक ही आवाज निकली - यह मुझे लेकर आया है और अब मैं इसे लेकर जाऊंगा हम दोनों साथ रहेंगे अब यह बस मेरा है - मेरे इतना बोलने के बाद बाबा ने मेरी गर्दन पकड़ कर तुरंत जमीन पर पटक दिया और बड़ी तेज तेज झापड़ मारने लगे और कहने लगे - बता कौन है तू कहाँ से आया हैं - इतना बोलने के बाद बाबा ने कुछ पूजा करी तभी मैंने कहा - यह मुझे श्मशान घाट से लेकर आया है और अब मैं इसको भी लेकर जाऊंगा अपने साथ -


बाबा ने मेरी बात सुनने के बाद कहा - ये श्मशान घाट से तुझे कैसे लाया - बाबा की बात पूरी होने के बाद फिर मैंने कहा - यह मुझे लाया है बस अब हम साथ ही जाएंगे - बाबा ने मुझे पकड़ा और दबा लिया जिससे मैं बड़ी जोर से चीखने लगा फिर मैंने कहा - यह मेरी राख लेकर आया है चिता से इसलिए मैं यहाँ पर आया हूँ - फिर बाबा ने मेरे पापा को कहा - इसकी जेब से निकालो यह राख - पर मेरी जेब में राख की थैली जो रखी थी वो जेब के अंदर ही फट गई थी तो उसमे से सारी राख बिखर चुकी थी। फिर उसके बाद मेरे पापा ने सारी राख इकट्ठा करके घर के पास की ही नदी में ही डाल दी।


उस समय तो में ठीक हो गया पर अगले दिन मेरा सिर बहुत भारी भारी लग रहा था मुझे अजीब सा महसूस हो रहा था लेकिन यह बात मैंने किसी को नहीं बताई मुझे पता था कल की घटना की वजह से ही क्या पता मेरी तबीयत खराब हो। पर जब रात को मैं अपने बिस्तर पर सोने गया तभी मेरी आँख लगी ही थी तभी पता नहीं मुझे क्या हुआ की मैं तेज तेज से चिल्लाने लगा और कहने लगा - मैं इसे लेकर जाऊंगा अब मैं इसे लेकर ही जाऊंगा यह मुझे लाया है और मैं इसको लेकर जाऊंगा - इतना बोलकर मैं अपने घर से बाहर भागने लगा गिरते पड़ते मैं भाग रहा था तभी मेरे पापा और आस पास के लोगों ने मुझे पकड़ कर घर के अंदर वापस लेकर आ गए और मेरे बिस्तर पर लिटा दिया।


लेटने के कुछ समय बाद मैं उठकर अपना सर दीवार पर मारने लगा और जोर-जोर से रोने लगा और रोते हुए मैं बस एक ही बात बोल रहा था - इसे मैं ले जाऊंगा अब यह मुझे लाया है और मैं इसे लेकर जाऊंगा - इस बार मेरे अंदर पहली वाली रात से ज्यादा ही गुस्सा था। और मैं बार बार सबका गला पकड़ने की कोशिश कर रहा था तभी बाबा फिर हमारे घर आये। अब की बार बाबा ने पूरे घर में गंगा जल छिड़का और मंत्र पढ़ने लगे बाबा ने कहा कि - उसकी राख अभी बिस्तर में गिरी है और इसके कपड़े पर भी है इन्हें अभी विसर्जित करो तब मेरे पापा ने मेरी चादर यानी बेडशीट और मेरे कपड़े सभी नदी में विसर्जित कर दिए। और बाबा ने मेरे गले में एक ताबीज मंत्र पढ़कर बांध दिया। बाबा ने कहा अब ऐसा कभी नहीं होगा तब से मैं अपने काम से काम रखता हूं। 



 2. डायन


कुमारपुर गाँव के पास से ही एक नदी होकर गुजरती हैं और उस नदी के उस पार बिजली के चार खम्बे हैं और उस गाँव में रहने वालो के सामने अगर कोई उन चार खम्बो का नाम भी लेता हैं तो उनके चेहरों पर एक डर की रेखा सी बन जाती हैं। क्यूंकि उस गाँव में रहने वालो का यह कहना हैं की उन खम्बो के पास एक डायन रहती हैं। इसलिए उन खम्बो के पास कोई भी रात में तो क्या दिन में भी नहीं जाता अगर कोई गलती से भी वहाँ चला जाता हैं तो वो कभी वापस नहीं आता।


वैसे भी वो जगह नदी के उस पार हैं और नदी के उस पार बस जंगल ही हैं इसलिए कोई जल्दी से नदी के उस पार नहीं जाता और अगर कोई जाता भी हैं तो बस वो अपने जानवरों को घाँस चराने के लिए ही जाते थे। और महेश भी रोज नदी के उस पार अपनी बकरीयो को घाँस चराने लिए जाया करता था। वैसे तो उसके पास बस दो ही बकरीया थी और उसने अपनी उन दोनों बकरीयो के नाम भी रखे हुए थे। उसकी एक बकरी का नाम चम्पा और दूसरी का नाम चमेली था। और महेश अगर कही से भी उन दोनों बकरीयो को उनका नाम लेकर बुलाता तो वो बकरीया तुरंत भागती हुई उसके पास आ जाती थी।


और ऐसे एक दिन महेश रोज की तरह अपनी बकरीयो को घाँस चराने के लिए नदी के उस पार गया हुआ था। वो नदी के उस पार तो गया हुआ था पर वो उन चार खम्बो के पास नहीं गया हुआ था। वो उन खम्बो से दूर ऊपर की तरफ गया हुआ था जहाँ बहुत सारे लोग अपने जानवरों को चराने के लिए जाया करते थे। और महेश ने वहाँ पहुंचते ही अपनी बकरीयो को घाँस चरने के लिए छोड़ दिया। और खुद जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ कर अपने फ़ोन में हिन्दी स्टोरी माय वेबसाइट पर कहानियाँ पढ़ने और सुनने लगा। और तीन चार कहानियाँ सुनने के बाद महेश ने जैसे ही अपने आस पास देखा तो उसे उसकी बकरीया कही पर भी नजर नहीं आ रही थी।


और अपनी उन्ही बकरीयो को ढूंढ़ने के लिए महेश अपनी जगह से उठा और अपनी बकरीयो को आवाज लगाते हुए जंगल के अंदर की तरफ जाने लगा। क्यूंकि उसे लग रहा था की शायद उसकी बकरीया घाँस खाते खाते जंगल के अंदर चली गई होंगी। इसलिए वो लगातर अपनी बकरीयो को आवाज लगाता हुआ जंगल के अंदर की तरफ चले जा रहा था। पर उसको उसकी बकरीया कही पर भी नहीं दिख रही थी और अब समय भी काफ़ी होने लगा था और वो जंगल भी काफ़ी बड़ा था अगर महेश ऐसे ही चलते जाता तो उसे इस जंगल को पार करने में लगभग दो दिन लग जाते।


इसलिए वो वापस नदी की तरफ आने लगा पर वो बाहर जाने का रास्ता भूल गया था पर वो वहाँ रुका नहीं और सीधा सीधा चलते जा रहा था तभी उसके कानो में नदी के पानी की आवाज आने लगी। महेश समझ चूका था की वो जंगल से बाहर अब नदी के पास आ गया हैं। पर वो अभी भी अपनी बकरीयो को ढूंढ रहा था और उनका नाम लेकर आवाज लगा रहा था - चम्पा चमेली, चम्पा चमेली - वो आवाज लगाते हुए नदी की तरफ चले जा रहा था पर तभी उसके पैर के नीचे कुछ आ गया। उसने जैसे ही अपने पैरो की तरफ देखा तो उसके शरीर में चला खून बर्फ सा ठंडा हो गया और उसके अंदर एक डर की लेहर सी चलने लगी क्यूंकि उसके पैर के नीचे एक बोर्ड था और उस बोर्ड में लिखा सावधान आगे खतरा हैं आगे चार खम्बे हैं। महेश यह पढ़कर जैसे ही भागने वाला था तभी उसे उसकी बकरीयो की आवाज आने लगी।


आवाज सुनकर पहले तो महेश ने वही से खड़े खड़े अपनी बकरीयो को आवाज लगाई पर काफ़ी देर तक जब उसकी बकरीया वापस नहीं आई तो महेश डरते डरते उस ओर जाने लगा जाने लगा जहाँ से उसकी बकरीयो कक आवाज आ रही थी और जहाँ पर वो चार खम्बे थे। वो डरता डरता चले जा रहा था तभी उसने देखा एक लड़की चार खम्बो के सामने एक पत्थर पर बैठी थी और उसका मुँह दूसरी तरफ था और उस लड़की के बाल इतने बड़े थे की वो जमीन को छू रहे थे और उस लड़की के पास में ही महेश की एक बकरी खड़ी हुई थी।


अपनी बकरी को देखते ही महेश ने अपनी बकरी को आवाज मारी - चम्पा चम्पा इधर आओ - उसकी आवाज उसकी बकरी ने तो नहीं सुनी पर वो लड़की जो वहाँ पर बैठी थी उसने महेश की आवाज सुनकर जैसे ही पिछे देखा तो उसको देखकर महेश उस लड़की को बस देखता ही रह गया। क्यूंकि वो लड़की देखने बहुत सुन्दर और आकर्षक थी। महेश उस लड़की को खड़े खड़े बस देखे ही जा रहा था तभी उस लड़की ने थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कह - यह आपकी बकरी हैं क्या - उस लड़की की आवाज सुनते ही महेश का भी ध्यान टुटा और उसने अपने सर पर एक हाथ फैरते हुए कह - जी हाँ पर इसके साथ मेरी एक बकरी और थी क्या अपने उसे कही पर देखा -


महेश की बात का जवाब देते हुए उस लड़की ने अपने हाथ से इशारा करते हुए कह - वो एक बकरी उस तरफ हैं - उस लड़की के इतना बोलने के बाद महेश ने जैसे उस तरफ जाकर तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गई क्यूंकि महेश ने देखा उसकी दोनों बकरीयो के सर कटे वही पर पड़े हुए थे। महेश यह देखकर बहुत डर चूका था क्यूंकि अभी थोड़ी देर पहले उसकी एक बकरी तो उस लड़की के साथ बिलकुल सही थी पर अब यहाँ पर तो उसकी दोनों बकरीया मरी पड़ी हुई थी। महेश अब शायद समझ चूका था की वो लड़की कौन हैं इसलिए वो बिना समय गवाए वहाँ से भागने लगा था पर तभी वो भागते भागते अचानक वही पर रुक गया।


क्युकी उसने देखा वो लड़की उसके आगे से ही चले आ रही थी उसको आगे से आते देख महेश तुरंत पिछे भागने को जैसे जी मुड़ा तो एक छटका उसे फिर लग गया क्यूंकि उसने देखा वही लड़की अब उसके पिछे से भी आ रही थी उसने डरते हुए फिर से आगे की तरफ देखा तो वो लड़की अब आगे भी थी और पिछे भी थी और उसके दोनों तरफ भी थी यानी उस लड़की या उस डायन ने अब महेश को चारो तरफ से घेर लिया था। उसके बाद वो लड़की चारो तरफ से उसके ओर आने लगी और उसके पास आते ही उस लड़की का चेहरा बिलकुल बदल गया और एकदम भयानक सा हो गया। और महेश के पास आते ही उस डायन ने एकदम अपना एक हाथ महेश की छाती में डाल दिया और उसका दिल एकदम से बाहर निकाल लिया। कहते हैं वो चार खम्बो वाली डायन अगर किसी को मारती हैं तो उसे वो पहले चारो तरफ से घेर लेती हैं फिर उसके बाद उसका दिल निकाल लेती हैं।




 3. भूतिया होशपीटाल


एक हॉस्पिटल पिछले दस सालो से बंद पड़ा हुआ हैं इस हॉस्पिटल के बंद होने का करण यह बताते हैं। की दस साल पहले इस हॉस्पिटल में डॉ सागर रहा करते थे वो इस हॉस्पिटल के एक सीनियर डॉ थे पर एक दिन जब डॉ सागर हॉस्पिटल की छत पर टहल रहे थे तब को कुछ लोगो ने डॉ सागर को मार कर पानी की टंकी में डाल दिया था। और उनकी मौत के कुछ दिनों बाद से ही इस हॉस्पिटल हॉरर एक्टिविटी होने लगी।


और उसके बाद हॉस्पिटल में काई लोगो को की लाश छत पर पड़ी मिलती थी और कभी-कभी तो खुद डॉ सागर को काई लोगो ने हॉस्पिटल में घूमते देखा था। जिसके बाद से इस हॉस्पिटल को बंद करना पड़ा था। और आज भी कोई उस हॉस्पिटल नहीं जाता।


सूरज और अखिलेश आज ही इस हॉस्पिटल के बगल वाले हॉटल में रहने को आई थे। पूरा दिन घूमने के बाद दोनों जब हॉटल वापस आ रहे थे तब सूरज की नजर इस हॉस्पिटल की तरफ पड़ी फिर उसने अखिलेश को हॉस्पिटल दिखते हुए कहा - अरे भाई यह हॉस्पिटल बंद क्यों पड़ा हैं ऐसा लग रहा हैं जैसे काई सालो से यह बंद पड़ा हो -


सूरज की बात सुनकर अखिलेश बोलता हैं - मुझे क्या पता भाई मैं भी तेरे साथ यहाँ पहली बार ही आया हूँ - यही सब बाते करते हुए दोनों अपने हॉटल में पहुंच जाते हैं। और फिर वहाँ पहुंचते ही सूरज हॉटल के एक आदमी से पूछता हैं - अरे भैया वो हॉटल के बगल वाला हॉस्पिटल बंद क्यों पड़ा हैं - सूरज की बात सुनकर वो आदमी बोलता हैं - क्यूंकि भैया वो एक भूतिया हॉस्पिटल हैं इस वजह से - उस आदमी की बात सुनकर फिर सूरज बोलता हैं - अरे भाई जी मज़ाक मत करो और कुछ सही में पता हो तो बताओ - सूरज की ऐसी बाते सुनकर वो आदमी इस बार थोड़ा दांत पीसते हुए बोलता हैं - अगर मेरी बातो पर विश्वास नहीं तो खुद ही जाकर देख लो - इतना बोलकर वो आदमी वहाँ से चला जाता हैं।


 उसके जाते ही अखिलेश, सूरज से बोलता हैं - अरे तू भी कहाँ इस पागल की बातो में आ रहा हैं - पर सूरज तो जैसे अब उस हॉस्पिटल में जाने का मन बना बैठा था। इसलिए वो अखिलेश से बोलता हैं - यार एक बार देख के आने में क्या जाता हैं चल आज देख कर ही आते हैं वो आदमी सच बोल रहा था या झूठ - अखिलेश, सूरज की ऐसी पागलो भरी बाते सुनकर सूरज को समझाते हुए बोलता हैं - तू पागल तो नहीं हो गया हैं और वैसे भी हमें क्या मिलेगा उस आदमी को झूठा सभीत करके -


फिर सूरज एक बार और कोशिश करते हुए अखिलेश से बोलता हैं - भाई तुझे अपनी दोस्ती की कसम तू मेरे साथ आज रात को उस हॉस्पिटल में चल रहा हैं बस - अखिलेश जानता था सूरज बहुत जिद्दी हैं और अब वो वहाँ जाकर ही मानेगा इसलिए अखिलेश सूरज की बात मन जाता हैं। और दोनों रात के 12 बजे उस हॉस्पिटल में जाने का प्लेन बनाते हैं फिर वो रात के 12 बजने का इंतजार करने लगते हैं।


 और जैसे ही घड़ी में रात के 12 बजते हैं दोनों उस हॉस्पिटल में जाने लगते हैं और वहाँ पाउच कर हॉस्पिटल के गेट का ताला तोड़ कर अंदर चले जाते हैं।अंदर जाने के बाद दोनों एक एक कर हॉस्पिटल में हर जगह देखने लगते हैं की कुछ तो भूतिया हो पर उन्हें सिवाय धूल के वहाँ कुछ नहीं देखता अभी अखिलेश, सूरज से बोलता हैं- भाई मुझे तो इस हॉस्पिटल में कुछ भी भूतिया जैसा नहीं दिख रहा चल यार अब हॉटल चलते हैं फालतू का टाइम वैस्ट कर रहे हैं हम वहाँ -


सूरज के पास उसकी बातो का कुछ जवाब नहीं था इसलिए वो भी बोलता हैं - चल यार मुझे भी लगता हैं वहाँ ऐसा कुछ नहीं हैं - इतना बोलकर दोनों बाहर जाने लगते हैं। तभी उनके पिछे से किसी की आवाज आती - कौन हो तुम लोग - आवाज सुनकर जैसे ही सूरज और अखिलेश आपने पिछे को मुडे तो उनके होश उठ गए और उनकी रगो में बैहता खून जम सा गया। क्यूंकि उन दोनों ने देखा उनके सामने एक बड़ा ही भयानक सा आदमी खड़ा था।


क्यूंकि उस आदमी सर कटा हुआ था और उसने आपने सर को हाथो में पकड़ रखा था। उस आदमी को देखकर सूरज डरते डरते हुए उसे बोलता हैं - को-को-कौन हो तुम - सूरज के इतना बोलते ही वो आदमी पहले तो जो सर उसे आपने हाथो में पकड़ रखा था उसे उसने अपनी गर्दन पर रखा और अपनी भयानक आवाज में कह - मैं डॉ सागर हूँ और तुम मेरे पैसाड - इतना बोलकर वो सूरज और अखिलेश के हाथ पकड़ लेता हैं और घसीटता हुआ आपने साथ ले जाने लगता हैं।


फिर उसके बाद वो डॉ सागर उन दोनों को आपने साथ ऑपरेशन थिएटर ले जाता हैं पहले तो वो अखिलेश को एक कुर्सी में बांध देता हैं उसके बाद सूरज को ऑपरेशन थिएटर के बैड पर लेटा देता हैं और कैची से उसका पैर काटने लगता हैं और काटते काटते सूरज के दोनों पैर लग कर के रख देता हैं।

सूरज दर्द से तड़प और चिलाये जा रहा था पर उस डॉ सागर पर उसका कोई असर नहीं हो रहा था। तभी अखिलेश के हाथो में बँधी रसिया आपने आप खोल जाती हैं और अखिलेश जिस कुर्सी से बांधा था उसको उठा कर डॉ सागर के सर में मार देता हैं कुर्सी डॉ सागर के सर पे लगते ही उसका सर नीचे गिर जाता हैं।


अखिलेश थोड़ा भी ख़ुश हो पता उसे पहले ही डॉ सागर का सर आपने आप उड़ता हुआ डॉ सागर की गार्डन में लग जाता हैं। अखिलेश बस खड़ा खड़ा यह सब देख रह था वो बैचारा कर भी क्या सकता था। और सूरज को तो आपने दर्द के आगे कोई होश ही नहीं था क्यूंकि बेचारे के दोनों पैर जो कट चुके थे। तभी डॉ सागर अखिलेश की तरफ मोड़ता हैं बोलता हैं - अच्छा तुम्हारे दिमाग़ का ऑपरेशन करना हैं - इतना बोलकर ही डॉ सागर ने अखिलेश को पकड़ लिया और घसीटते हुए उसके ले जाकर सूरज के बगल में लेटा दिया।


अगले दिन जब वहाँ के पास के लोगो ने हॉस्पिटल का गेट खुला देखा तो लोगो ने सोचा की हॉस्पिटल में चोरी हुई होंगी। इसलिए वहाँ के लोगो ने पुलिस को बुला लिया और पुलिस ने जब अंदर जाकर देखा तो उनको लोगो की कटी पीटी लाश मिली। सूरज की लाश के तो दोनों पैर कटे हुए थे और अखिलेश का सर ऊपर से कटा हुआ था।

डॉ सागर मार तो गए थे लेकिन वो अभी भी लोगो का ऑपरेशन कर रह हैं।




 4. मौत की आवाज


आज बारिश सुबह से ही रुकने का नाम ही नहीं ले रही हैं और अब रात के लगभग 11 बज चुके है पर बारिश अभिषेक भी सुबह जैसी ही हो रही है । मैं खिड़की के पास खड़े खड़े बाहर बारिश देख ही रहा था तभी मेरी बीवी की आवाज़ आती है - राहुल राहुल - फिर मैंने कहा - हाँ अभी आया - इतना बोलकर मैं कुछ ही कदाम चला था तभी मुझे याद आया की मेरी बीवी तो 20 दिन पहले ही मर चुकी है ।


तो यह किसकी आवाज़ थी जो मुझे मेरा नाम लेकर बुला रही थी मेरी बीवी के मरने के बाद से ही मैं घर में अकेला ही रहता हूँ । तो ये किसकी आवाज़ थी जो मेरा नाम लेकर मुझे बुला रही थी फिर मैंने अपने मन में सोचा की हो सकता है मुझे उसकी याद आने के कारण कोई वैहम हो गया हो और यही सोच कर मैं अपने बिस्तर पर वापस की ओर जाने लगा।


और अपने बिस्तर पर जाकर लेट गया लेटे रहने पर थोड़ी ही देर में मेरी आँख भी लग गई। आँख लगे अभी एक घंटा ही हुआ होगा तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी फिर मैंने कहा - अरे कौन हैं इतनी रात को सही से सोने भी नहीं देता - ये बोल कर जैसे ही मैंने फ़ोन अपने कान से लगाया तो मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की ये कोई सपना हैं या हकीकत क्यूंकि फ़ोन से आवाज़ मेरी मरी हुई बीवी की आ रही थी और वो ये बोल रही थी - राहुल मुझे आपकी याद आ रही है और मैं आपको लेने जल्दी ही आ रही हूँ - मैंने जैसे ही यह सुना तो जैसे मेरे अंदर का खून जम सा गया हो।


मैं यही सोच रहा था की ये हो कैसे सकता हैं कोई मरा हुआ इंसान फ़ोन कैसे कर सकता हैं - यही सब सोचते सोचते पता नहीं कब मेरी आँख लगई मुझे पता ही नहीं चला । फिर उसके बाद दरवाजे की घंटी से मेरी आँख खुली तो मैंने अपने आप से कहा - अरे कौन हैं इतनी सुबह ये बोलते हुऐ मैं दरवाजे को खुलने के लिए उठा और जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो मैंने देखा बाहर मोहन खड़ा था मोहन मेरा दूध वाला हैं।


मोहन को देखकर मैंने कहा - अरे मोहन आज इतनी जल्दी सुबह - फिर मोहन ने कहा - क्या भैया जी 8 बज चुके है आज संडे हैं तो क्या मतलब भैया जी सोते ही रहिएगा क्या - फिर मैंने कहा - ना यर मोहन ये -बोलकर मैं चुप हो गया पहले सोचा की मोहन को कल रात के बारे में सब बता दू या नहीं फिर मैंने सोचा कही इसे कल रात की बात बताई तो ये मुझे पागल ना समझे ।


इसलिए फिर मैंने मोहन से दूध लिया और घर के अंदर वापस आ गया मैं पेशे से टीचर हूँ और आज संडे होने की वजह से पूरा दिन घर पर ही रहना होगा। तो मैंने सोचा आज क्यों ना घर की सफाई ही कर ली जाए जब तक माया थी तब वही घर का सारा काम करती थी और जब से उसकी मौत हुई हैं घर की सफाई सही से नहीं हुई हैं। फिर उसके बाद घर का सारा काम जब तक पूरा हुआ तब तक दोपहर के एक बज चुके थे।


पर मुझे काम कर के बहुत थकान होने लगी थी इसलिए मैंने सोचा क्यों ना कुछ देर आराम कर लिया जाए। फिर उसके बाद कुछ देर आराम करने के चक्कर में मेरी आँख कब लगई मुझे पता ही नहीं चला । फिर पता नहीं कितनी देर बाद जब मेरी आँख खुली तो मैंने फ़ोन में टाइम देखा तो पता चला मुझे सोते सोते रात हो गई थी। शायद आज ज्यादा काम करने की वजह से मुझे कुछ ज्यादा ही थकान हो गई और शायद इसी वजह से मेरी आँख नहीं खुली ।


फिर उसके बाद मैंने रात के 8 बजे से खान बनाना शुरू करा और रात के 10 बजे तक मैं खाना खा कर अपने बेडरूम में आकर फ़ोन चला ही रहा था तभी दरवाजे की घंटी की आवाज़ आई घंटी की आवाज सुनकर फिर मैंने कहा - अरे कौन हैं इतनी रात को - इतना बोलकर मैं दरवाजे को खुलने के आगे बढ़ा पर दरवाजे की घंटी लगातार बजे ही जा रही थी। इसलिए फिर मैंने कहा - अरे आ रहा हूँ भाई - इतना बोलकर मैं दरवाजे के पास ही आया था तभी दरवाजे के बाहर से एक आवाज़ आई - दरवाजा खोलो राहुल मैं हूँ मैं माया तुम्हारी माया दरवाजा खोलो राहुल - मैंने जैसे ही यह सुना तो जैसे मैं जम सा गया और मेरे अंदर डर की एक लेहर सी चलने लगी।


चार पाँच मिनट तक एक ही जगह पर ही खड़ा था मैं तभी मेरे पीछे से एक आवाज़ आती हैं - खड़े खड़े दरवाजे को क्यों देख रहे हो राहुल कब से कोई घंटी बजा रहा हैं दरवाजा खोलो राहुल - मैं इस आवाज को बहुत अच्छी तरह से पहचनता हूँ क्यूंकि यह आवाज और किसी की नहीं बल्कि माया की ही आवाज़ थी। आवाज सुनकर भी मैं पिछे नहीं मुड़ा बस वही खड़े खडे यही सोच रहा था की वो कैसे हो सकती हैं क्यूंकि अभी कुछ देर पहले उसकी आवाज़ घर के बाहर से आ रही थी और घंटी की आवाज़ अभी भी बाहर से लगातार आ रही थी।


यही सब मैं सोच ही रहा था तभी एक बार फिर मेरे पीछे से माया की आवाज़ आई - अरे तुम खड़े खड़े अब दरवाजे को ही देखते रहोगे या दरवाजा खोलोगे भी कोई कबसे घंटी बजा रहा हैं - ये सुनकर भी मेरी पीछे मुड़ने की हिम्मत तो नहीं हो रही थी पर किसी तरह मैंने हिम्मत करते हुऐ पीछे मुड़ा तो पर पिछे मुड़ते ही मेरे होश उठ गए क्यूंकि वहाँ कोई नहीं था।


मुझे जब वहाँ कोई नहीं दिखा तो मैंने एक ठंडी सांस ली पर तभी बाहर से दरवाजे की घंटी की आवाज़ फिर से आने लगी। पर मुझे समझ नहीं आ रहा था की अब मैं क्या करू क्यूंकि मेरे दिल की धड़कन उस समय अपनी दुगनी रफ़्तार से चल रही थी ऐसा लग रहा था जैसे मानो दिल अभी सीना फाड़ कर बाहर आ जाएगा। पर किसी तरह मैं डरते डरते दरवाजे को खोलने के लिए आगे बढ़ा पर मेरा दिल मुझे मना कर रहा था पर जैसे मेरे पैर अपने आप ही चल कर दरवाजे को खोलने के लिए आगे बढ़ रहे थे।


फिर उसके बाद डरते डरते मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गई क्यूंकि मैंने दरवाजे के बाहर सच में माया खड़ी थी और वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी। मैं वहाँ खड़े खड़े बस यही सोच रहा था की आखिर यह हो कैसे सकता हैं क्यूंकि मेरी बीवी माया को मरे हुए तो पुरे 21 दिन हो चुके हैं। मैं यही सब सोच ही रहा था तभी वो मेरी ओर बढ़ने लगी पर उसे पास आते देख भी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की यह क्या हो रहा हैं और मैं क्या करू।


वो जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ रही थी पर वो जैसे मेरे एकदम सामने आकर खड़ी हुई वैसे ही मेरे अंदर का डर इतना बढ़ गया की मेरी आँखो के सामने अंधेरा सा छाने लगा। फिर उसके बाद जब मेरी आँख खुली तो मेरे सामने मोहन खड़ा था और सुबह हो गई थी यानी मैं डर के मारे घर के बाहर ही बैहोश हो गया था। पर तभी मोहन ने मुझे उठाते हुए कहा - भैया जी आप ठीक तो हैं मैं तो डर ही गया था कही आप को कुछ हो तो नहीं गया पर भगवान का लाख लाख शुक्र की आप ठीक हैं -


फिर मोहन की बात सुनकर मैंने अपने आप को थोड़ा संभालते हुए कहा - हाँ मोहन मैं ठीक हूँ - फिर मोहन ने कहा - क्या हुआ था भैया जी जो आप बाहर ही बैहोश हो गये कुछ याद हैं आपको - फिर मैंने सोचा की मोहन को कल की बात बताना सही नहीं होगा इसलिए फिर मैंने कहा - पता नहीं मोहन मुझे कुछ याद नहीं आ रहा हैं मुझे लगता हैं शायद मुझे चक्कर आ गया होगा - फिर मोहन ने कहा - अच्छा भैया जी तो चलिए आप आराम कर लीजिये मैं आपको घर के अंदर तक छोड़ देता हूँ - फिर उसके बाद मोहन मुझे घर के अंदर छोड़ कर चला जाता हैं।


पर मैं यही सोच रहा था की जो मैंने कल देखा वो सच था या फिर मेरा कोई सपना था ना सपना नहीं हो सकता क्यूंकि वो मुझे सच में दिखी थी मुझे याद हैं पर यह कैसे हो सकता हैं माया तो मर चुकी हैं तो वो कैसे वापस सकती हैं। यही सब मैं सोच ही रहा था तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी तो मैंने फ़ोन की इस्क्रीन देखा तो कोई नया नंबर था फिर उसके बाद मैंने जब फ़ोन अपने कान से लगाया तो किसी की आवाज़ नहीं आ रही थी।


फिर मेरे दो तीन बार हेलो हेलो बोलने पर भी किसी की आवाज़ नहीं आई तो जैसे ही मैं फ़ोन रखने वाला था तभी फ़ोन की दूसरी ओर से किसी की आवाज़ आई वो आवाज किसी ओर की आवाज नहीं बल्कि मेरी मरी हुई बीवी माया की ही आवाज़ थी। और वो बोल रही थी - राहुल मुझे आपकी याद आ रही हैं और अब मुझ से आपके बिना एक पल भी नहीं रहा जा रहा इसलिए मैं आज ही आपको लेने आ रही हूँ - मैंने जैसे ही यह सुना तो जैसे मेरे अंदर का खून जम सा गया और मेरे हाथ पैर डर से कापने लगे।


पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की अब मैं क्या करू यही सब सोच रहा था की क्या आज मैं मर जाऊंगा क्या मेरा यह आज आखरी दिन हैं वो मुझे आज मर देगी क्या यही सब सोचते सोचते ना जाने कब रात हो गई। फिर उसके बाद अब रात के 10 बजे हैं और मैं अपने कमरे में ही बैठा हूँ। तभी मेरे कमरे के बाहर से एक आवाज़ आई - राहुल राहुल देखो मैं आ गई आपको लेने - इतना बोल कर वो एक डरावनी हसीं हस ने लगी पर अब वो मुझे लेने आ चुकी हैं।


फिर उसके बाद इंस्पेक्टर विजय कहता हैं - अरे इस राहुल की डायरी मैं इसके आगे कुछ लिखा क्यों नहीं हैं तभी कॉन्स्टेबल पांडे कहता हैं - सर वो लिखता भी कैसे उसके बाद राहुल मर जो चूका था और सर राहुल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मैं ये साफ़-साफ़ लिखा हैं राहुल हार्ट अटैक से मरा था और डॉ का कहना हैं राहुल ने कुछ डरावनी चीज देखी थी जिससे राहुल को हार्ट अटैक आया था। और राहुल ने भी अपनी डायरी में यही लिखा हैं - इंस्पेक्टर विजय कहता हैं ये कैसे हो सकता हैं पांडे। राहुल की बीवी तो मर चुकी थी वो कैसे आ सकती थी । पांडे कहता हैं - पर सच तो यही हैं -यह बोल कर पांडे विजय को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देकर वहा से चला जाता हैं।


अब पुलिस को कुछ भी लगे पर सच नहीं बदल सकता। जब उस रात राहुल अपनी डायरी लिख रहा था । तभी उसे माया की आवाज़ आती हैं। वो कह रही थी - राहुल राहुल देखो मैं आगई आपको लेने फिर उसके बाद राहुल अपनी डायरी लिखते हुऐ कहता हैं - वो आ गई मुझे लेने - इतना बोलकर राहुल लिखना बंद करता हैं और डरते-डरते पीछे देखता हैं वो जैसे ही पिछे मुड़ता हैं तो वो देखा हैं माया उसके पीछे ही खड़ी थी और वो उसको देखकर मुस्कुरा रही थी उसे वहाँ खड़े देख कर राहुल की आँखे फटी की फटी रह जाती हैं।


और फिर उसके बाद माया राहुल के पास ही आते जाती जैसे पर राहुल ये देख कर बहुत डर चूका था और उसका दिल बहुत तेजी से धड़कने लगा था फिर राहुल उसी डर को शह नहीं पाता और उसी समय राहुल को हार्ट अटैक आ जाता हैं और वही उसकी मौत हो जाती हैं।

माया ने कहाँ था वो राहुल को लेने आ रही हैं और वो सच में राहुल को लेकर चली गई ।



 5. साया डायन का


अवनीत और रजत शाम 7 बजे घूम फिरकर अपने घर की ओर अपनी बाइक से वापस जा रहे थे तभी रजत ने अवनीत से कहा - अबे भाई बाइक रोक जल्दी - रजत की बात सुनकर अवनीत ने तुरंत बाइक की ब्रेक मारी और कहा - अबे क्या हुआ भाई - फिर रजत ने कहा - अरे भाई तू इस रास्ते इसे क्यों बाइक ले जा रहा हैं तुझे पता नहीं क्या अब सूरज डूब गया हैं और सूरज डूबने के बाद कोई इस रास्ते से नहीं जाता -


फिर अवनीत ने कहा - पर क्यों भाई ऐसा क्या हैं इस रास्ते में - फिर रजत ने कहा - अरे तुझे सच में नहीं पता क्या इस रास्ते में क्या हैं - फिर अवनीत ने कहा - भाई तुझे तो पता ही हैं मैं 10 साल बाद कल ही तो गाँव आया हूँ तो मुझे कैसे पता होगा - अवनीत की बात सुनकर फिर रजत ने कहा - अरे यार तुम लोग भी शहर चले जाते हो फिर गाँव के बारे में सब भूल जाते हो - फिर रजत की बात बीच में ही काटते हुए अवनीत ने कहा - अरे भाई ज्ञान मत पेल और सही से बता की क्यों नहीं जा सकते अभी यहाँ से - फिर रजत ने कहा - भाई तू मुझे बोलने देगा तभी तो बताऊंगा कुछ -


फिर अवनीत ने कहा - अच्छा चल अब बीच में कुछ नहीं बोलूंगा तू बता अब - फिर रजत ने बताते हुए कहा - तो सुन भाई जब हम सुबह इस रास्ते से जा रहे थे तो तुने देखा ही होगा की इस रास्ते में पुरे में पाँच किलोमीटर तक जंगल ही हैं बस पर जब हम उस जंगल के एकदम बीच यानी यहाँ से दो किलोमीटर आगे एक ऐसी जगह हैं जो तुने भी आते समय जरूर देखी होगी - फिर रजत की बात बीच में ही काटते हुए अवनीत ने कहा - कौन सी जगह -


फिर रजत ने कहा - भाई पूरी बात सुन तो ले पहले वो जगह दो किलोमीटर आगे हैं उसे लोग डायन कोट के नाम से जानते हैं वो डायन कोट लगभग 300 मिटर तक फैली हुई हैं और उस तीन सौ मिटर तक एक भी पेड़ या एक भी घाँस तक नहीं हैं क्यूंकि उस डायन कोट में रह रही डायन को यह बिलकुल भी पसंद नहीं की कोई भी उस डायन कोट में सूरज डूबने के बाद वहाँ जाए। और तुने भी शायद यह देखा ही होगा की उस पुरे डायन कोट में बस हड्डियों के कंकाल ही पड़े हुए हैं क्यूंकि इस जगह पर अगर कोई जानवर भी जाता हैं तो वो जिन्दा नहीं बचता -


रजत की सारी बात सुनने के बाद अवनीत बड़ी जोर जोर से हँसने लगता हैं। अवनीत को ऐसे हँसते देख फिर रजत बोलता हैं - भाई क्या हुआ तू हंस क्यों रहा हैं - फिर अवनीत हँसते हुए ही बोलता हैं - भाई मुझे पता था की गाँव में कोई ना कोई ऐसी भूतों की बाते जरूर करेगा - इतना बोलकर अवनीत फिर से जोर जोर हँसने लगता हैं। पर रजत समझ था की शहर के लोग भी जल्दी से किसी भूतों या डायन जैसी चीजों पर विश्वास नहीं करते इसलिए रजत फिर अवनीत से बोलता हैं - भाई तुझे विश्वास वो या ना हो पर भाई हम अभी इस समय इस रास्ते से नहीं जायेंगे बस और तू बाइक ये दूसरे वाले रास्ते की तरफ मोड़ दे -


फिर रजत की बात सुनकर अवनीत बोलता हैं - भाई में 10 साल बाद जरूर आया हूँ पर मुझे यह पता हैं की यह रास्ता पाँच किलोमीटर सॉर्टकर्ट हैं इसलिए हम इसी रास्ते से जायेंगे - फिर रजत कहता हैं - यार तुझे घूमना ही तो था आज और इसी बहाने चल थोड़ा और घूम लियो इसलिए भाई उस दूसरे वाले रास्ते से चल ले भाई - इस बार अवनीत,रजत की बात मान जाता हैं और बाइक दूसरे रास्ते की तरफ मोड़ देता हैं। फिर उसके बाद दोनों उस दूसरे वाले रास्ते से जा ही रहे थे तभी अवनीत रजत से कहता हैं - भाई चल मान लिया वो डायन कोट में सच में डायन हैं पर कभी ऐसा हुआ हैं की कोई रात को वहाँ गया हो और वापस भी सही सलामत आ गया हो -


अवनीत की बात सुनकर फिर रजत ने कहा - हाँ भाई वापस तो आया हैं पर सही सलामत नहीं आया - फिर अवनीत ने कहा - कौन आया हैं और उसके साथ ऐसा क्या हुआ जो तू बोल रहा हैं की सही सलामत नहीं आया - फिर रजत ने कहा - तू बिर्जेश को जानता ही होगा - फिर अवनीत ने कहा - कौन बिर्जेश - अवनीत की बात सुनकर फिर रजत बोलता हैं - अरे वही बिर्जेश जिसे बचपन में सब नागिन बोलते थे अब याद आया कुछ - फिर अवनीत ने अपना सर खुजाते हुए कहा - हाँ हाँ वही ना जिसकी हमेशा नाक बैहती रहती थी और सब बोलते थे की नागिन का जहर निकल रहा हैं इसलिए सबने बाद में उसका नाम ही नागिन रख दिया था -


फिर रजत बोलता हैं - हाँ वही नागिन - फिर से रजत की बात बीच में ही काटते हुए अवनीत ने कहा - वही नागिन वहाँ से वापस आया था पर वो अभी सही हैं या नहीं - फिर रजत ने कहा - ना यार वो अब बिलकुल सही नहीं हैं उसकी अब ऐसी हालत हो गई हैं की कोई उसे नहीं पहचान सकता बहुत बुरी हालत में हैं वो अब पर अब कोई क्या करें सब ने उसे उस रास्ते से रात में जाने से मना करा था पर उसने एक शर्त के चक्कर में अपनी पूरी जिंदगी बर्बाद कर ली उसकी शादी भी होने ही वाली थी पर उसकी ऐसी हालत होने की वजह से उसकी शादी भी टूट गई पर अब हम क्या कर सकते हैं -


फिर रजत की बात खत्म होते ही अवनीत बोलता हैं - पर उसे हुआ क्या हैं तू बार बार बस यही बोल रहा हैं की उसने अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली पर उसके साथ हुआ क्या हैं यह भी तो बता - फिर रजत बोलता हैं - तो सुन भाई -

अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।


साया डायन का एपिसोड 2


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