श्रापित जंगल E-4
आशीष ने कहा - जब इस जंगल के अंदर वन विभाग के गार्ड किसी को आने नहीं देते तो वो औरतें लकड़ियां लेने कैसे आ गई और आ तो गई ऊपर से थोड़ी ही देर में पता नहीं कहाँ चली गई ना कहीं दिखाई दी कुछ पता हूँ नहीं चला - आशीष की सारी बात सुनने के बाद जतिन ने कहा - हाँ कुछ तो है - फिर मैंने कहा - सच में वो औरतें ही कुछ ना कुछ है क्योंकि ऐसे कहाँ गायब हो सकती हैं एकदम से और हम सबको उनके रोने तड़पने की आवाज भी सुनाई दी थी पर हमें वो कही दिखा नहीं और जो मुझे झाड़ियों के पास दिखा वो भी क्या है यह कुछ समझ नहीं आ रहा - लेकिन हम चारों को यह पता था कि इस जंगल में कोई हमारे साथ छलावा कर रहा था।
हम यही पेड़ के नीचे बैठे बैठे हम बस यहाँ से जिंदा निकलकर चले जाएं यही सोच रहे थे बस और भगवान से दुआ कर रहे थे। की तभी अखिल ने कहा - चलो यार अब चलते हैं 9: बज चुके हैं और यार मेरी गाड़ी भी बाहर ही है और वैसे भी मेरी गाड़ी अभी नई है पता नहीं किस हालत में होगी सही है कि नहीं यह भी नहीं पता - अखिल के इतना बोलने के बाद हम चारो जो अभी तक बहुत ज्यादा डरे हुए और घबराए हुए थे पर उसके इतना बोलने के बाद सबके चेहरे पर थोड़ी हल्की सी मुस्कान तो आई पर तभी आशीष ने कहा - एक तो हमारी जान यहाँ मुसीबत में फंसी हुई है और यह भी नहीं पता हम यहाँ से जिंदा वापस लौट पाएंगे या नहीं ऊपर से अखिल को देखो इसे अभी भी अपनी गाड़ी की पड़ी हुई है -
आशीष के इतना बोलने के बाद हम चारो अपनी अपनी जगह से उठे और आगे की तरफ जैसे ही जाने को हुए की तभी मेरी नजर पेड़ के ऊपर पड़ी तो जैसे मेरी आँखे फटी की फटी ही रह गई हो उसके बाद मैंने तुरंत अपनी फोन की फ्लैश लाइट पेड़ की तरफ मारी तो मेरे होश ही उड़ गए फिर उसके बाद मैं तुरंत आगे की तरफ भागने लगा की तभी मुझे जतिन और अखिल ने पकड़ लिया और कहा - संतोष क्या हुआ तुझे ऐसे क्यों भाग रहा हैं - उनके इतना बोलने के बाद मैंने अपने हाथ से इशारा करते हुए मैंने उन्हें पेड़ के ऊपर की तरफ दिखाया तो उन्होंने भी फ्लैशलाइट से जो देखा उसके बाद हम चारो ने तुरंत एक दूसरे का हाथ पकड़ कर हम सब उसी जंगल में फिर आगे की तरफ भागने लगे
की तभी भागते भागते आशीष ने कहा - जिसका डर था देखो वही हुआ मैं कह रहा था की मुझे वी औरतें साधारण नहीं लग रही थी - आशीष यह इसलिए बोल रहा था क्यूंकि हमें फ्लैशलाइट से पेड़ की डाली पर एक औरत को बैठे हुए देखा था जिसकी आंखें बिलकुल लाल लाल चमक रही थी और उसके पुरे बाल बिखरे हुए थे यह देखने बाद से ही हमारे अंदर जितनी ताकत थी हम उतनी रफ्तार से उस जंगल में आगे की तरफ भाग रहे थे।
हम चारों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर आगे की तरफ लगातार अपने फ़ोन की फ्लैश लाइट जलाये भगवान को याद करते हुए भागे जा रहे थे और बस यही कह रहे थे की हे भगवान जिंदा वापस निकाल दो बस इस जंगल से हमें क्यूंकि हमने यह तो तय कर लिया था की अब कभी जिंदगी में किसी जंगल में तो घूमने नहीं जाएंगे। और अब घड़ी में लगभग 10:30 बज रहे थे यानी हमें यहाँ समय बहुत ज्यादा ही हो गया था और अब हमें समझ भी नहीं आ रहा था की जंगल है या मौत का कोई भूल भुलैया क्योंकि इतनी देर से हम लगाता भाग रहे हैं पर कोई तो रास्ता होना चाहिए जो हमें बाहर तक ले जाए।
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं
