साया डायन का E-3 | Dayan ki kahani in hindi | Hindi story my

 

साया डायन का E-3


मेरे इस बार इतना कहने के बाद राहुल और लोकेश भी हमारे साथ नागिन यानी बिर्जेश को ढूंढ़ने जाने को त्यार हो गए। फिर उसके हम पांचो अपनी अपनी बाइक पर बैठे और नागिन को ढूंढ़ने जाने को जैसे ही जाने को हुए वैसे ही हमने देखा आगे उसी डायन कोट वाले रास्ते से कोई बाइक से हमारी ही और चला आ रहा हैं। उस बाइक को अपनी ओर आते देख फिर हम सब वही रुक कर उसका इंतजार करने लगे।
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फिर उसके बाद जब वो बाइक हमारे पास आकर रुकी तो हमने देखा वो और कोई नहीं बल्कि हमारा दोस्त नागिन ही था। उसके वहाँ आते ही हम सब उससे बार बार यही पूछ रहे थे की उसे वहाँ से आने में इतनी देर क्यों लगी कही तेरे साथ कुछ हुआ तो नहीं पर वो हमारी बात का कुछ जवाब नहीं दे रहा था। हमें यह देखकर बड़ा ही अजीब भी लग रहा था क्यूंकि वो उस समय काफ़ी बदला बदला सा लग रहा था मतलब वैसे वो हमेशा कुछ ना कुछ बोलता ही रहता था पर वहाँ से आने के बाद से वो कुछ नहीं बोल रहा था।

पर हमारे बार बार पूछने पर उसने बस इतना ही कहा - वो दिव्या - इतना बोलकर वो फिर से चुप हो गया फिर उसके बाद मैंने उससे पूछा - भाई कौन दिव्या और तुझे वहाँ आने में इतनी देर कैसे हो गई - मेरे इतना कहने के बाद नागिन ने इस बार तुरंत कहा - वो लड़की जो मुझे अभी डायन कोट के पास मिली थी यही तो दिव्या हैं - नागिन के इतना बोलते ही हम सबके होश उठ गए क्यूंकि वो डायन कोट बिलकुल जंगल के बीच में हैं तो कोई लड़की इतनी रात को कैसे आ सकती हैं।

इसलिए फिर मैंने बड़ी ही हैरानी के साथ कहा - डायन कोट में कोई तुझे कैसे मिल सकता हैं क्यूंकि सूरज डूबने के बाद तो कोई उस रास्ते से नहीं जाता तुने उस लड़की से पूछा नहीं की वो कहाँ रहती हैं - फिर मेरी बात का जवाब देते हुए नागिन ने कहा - मैंने पूछा था - फिर उसकी बात बीच में ही काटते हुए लोकेश ने कहा - तो उसने क्या कहा - फिर नागिन ने कहा - उसने कहा उसका घर उसी डायन कोट के पिछे हैं वो वही रहती हैं और हाँ उसे यह भी कहा की वो उस डायन कोट में रात में घूमती रहती हैं पर उसने तो कभी वहाँ कोई डायन नहीं देखी तो चलो मैं अब शर्त जीत गया -

फिर उसके बाद नागिन अपनी बात खत्म कर चूका था पर हम सब तभी भी कुछ नहीं बोल रहे थे क्यूंकि दिन के समय में हम सब भी उस डायन कोट वाले रास्ते से कई बार गए थे पर हमने तो कभी भी उस डायन कोट के पिछे कोई घर नहीं देखा था। और मुझे ऊपर से एक बात और चुब रही थी की नागिन ने यह भी कहा था की वो लड़की रात बार उस डायन को में घूमती रहती हैं पर क्यों वही सब मैं सोच ही रहा था तभी हम सब को ऐसे चुप देख फिर नागिन ने कहा - अरे क्या हो गया तुम सब को ऐसे चुप क्यों हो गए -

फिर मैंने कहा - पर भाई अभी तुने कहा की वो लड़की रात में उस डायन कोट में घूमती रहती हैं पर तुने उससे यह नहीं पूछा की तुम रात में उस डायन कोट में क्यों घूमती हो - फिर मेरी बात का जवाब देते हुए नागिन ने कहा - अबे भाई तुझे मैंने अभी तो बताया की उसका घर ही हैं वहाँ तो वो घूम लेती होगी घर से निकल के - इतना बोलकर फिर उसने राहुल की तरफ देखा और कहा - हाँ भाई हो गया तेरा चल अब मेरे पैसे निकाल - फिर उसके बाद राहुल ने अपनी जेब से दो हज़ार रूपये निकाले और नागिन को देते हुए कहा - भाई तुझे सच में वहाँ कोई डायन नहीं मिली -

फिर उसकी बात खत्म होते ही मैंने अपने मन में ही कहा - मिली ना मुझे तो लगता हैं की वो दिव्या ही डायन हैं - मैं यही सब सोच रहा था तभी फिर नागिन ने राहुल से कहा - अबे तुझे कितनी बार बताऊ की मुझे कोई डायन नहीं मिली - इतना बोलकर नागिन ने तुरंत राहुल के हाथ से दो हज़ार का नोट ले लिया और फिर अपने घर की ओर जाने लगा। फिर उसके जाने के बाद मैंने अपने साथ वाले लड़को को कहा - भाइयो मुझे तो लगता हैं की जो इसे दिव्या नाम की लड़की मिली हैं वही डायन हैं -

फिर मेरी बात बीच में ही काटते हुए लोकेश ने कहा - पर भाई अगर दिव्या ही डायन थी तो उसने नागिन को क्यों कुछ करा भाई मुझे तो लग रहा हैं हम फालतू में ज्यादा सोच रहे हैं और मुझे भी लगता हैं की डायन कोट में कोई डायन नहीं हैं इसलिए मैं कहता हूँ अब घर चलते हैं यहाँ फालतू में समय बर्बाद करने से कुछ नहीं मिलेगा - लोकेश के इतना बोलने के बाद हम सब उस दिन फिर अपने अपने घर चले गए और मैं भी अपने घर जाकर सो गया। पर अगले दिन जब मुझे नागिन की खबर मिली तो मेरे होश उठ गए 

क्यूंकि मुझे एक लड़के ने आकर बताया की नागिन कल पूरी रात तक तो ठीक था पर जैसे ही सुबह उसके घर वालो ने उसे उठकर देखा तो उनके भी होश उठ गए थे क्यूंकि उन्होंने देखा की नागिन पागलो वाली हरकतें करें जा रहा हैं। उसने अपने पुरे शरीर में काट काट कर दिव्या का नाम लिख रखा था उसके शरीर में एक भी ऐसी जगह नहीं बची थी जहाँ उसने दिव्या का नाम ना लिखा हो। पर पुरे शरीर नाम लिखने के बाद भी वो तभी भी अपने आप को काट काट कर नाम लिखें जा रहा था और यही बोले जा रहा था की - दिव्या सिर्फ मेरी हैं मैं दिव्या के बिना एक पाल भी नहीं रह सकता -
इसके आगे की कहानी अब अगले एपिसोड में हैं।


इस कहानी के लेखक हैं - शिव


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