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साया डायन का E-8


बिर्जेश की यह बात सुनकर अवनीत और रजत समझ तो गए थे की बिर्जेश किसकी बात कर रहा हैं पर फिर भी अवनीत के पिछे से रजत ने कहा - कौन इंतजार कर रही हैं - फिर उसके बाद बिर्जेश ने जो कहा उसे सुनकर तो अवनीत और रजत के होश ही उठ गए क्यूंकि बिर्जेश ने कहा - दिव्या तुम्हारा इंतजार कर रही हैं - जैसे ही दोनों ने बिर्जेश के मुँह से इतना सुना वैसे ही दोनों शॉक से हो गए।
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उसके इतना बोलने के बाद भी अवनीत और रजत कुछ नहीं बोल बोल रहे थे क्यूंकि उन दोनों को समझ में नहीं आ रहा था की वो उसकी बात का जवाब क्या दे और साथ ही दोनों को यह भी समझ नहीं आ रहा था की अब वो दोनों क्या करें। दोनों बस मूर्ति बने खड़े ही थे तभी बिर्जेश ने अवनीत का हाथ खींचते हुए कहा - चलो जल्दी वो कबसे तुम्हारा इंतजार कर रही हैं - बिर्जेश के इतना बोलने के बाद रजत ने तुरंत अवनीत के पिछे से ही अवनीत का हाथ बिर्जेश के हाथ छुड़ाया और कहा - बिर्जेश तू चल हम अभी थोड़ी देर में आते हैं -

फिर बिर्जेश ने कहा - नहीं अभी चलो वो कबसे तुम्हारा इंतजार कर रही हैं और उसने मुझे तुम्हे साथ लाने को कहा हैं इसलिए अब चलो जल्दी - बिर्जेश के इस बार इतना बोलने पर अवनीत को पता नहीं उस समय क्या होता हैं की वी बाहर की ओर जाने लगता हैं। पर तभी रजत अवनीत को बाहर जाता देख तुरंत उसका हाथ पकड़ कर घर के अंदर खींच लेता हैं और चिल्लाते हुए बोलता हैं - तू पागल तो नहीं हो गया हैं तू बाहर क्यों जा रहा था जब तुझे पता हैं दिव्या कौन हैं फिर भी -

फिर अवनीत ने कहा - भाई मुझे पता हैं तभी तो जा रहा हूँ क्यूंकि कही ना कही बिर्जेश की इस हालत का जिम्मेदार मैं भी हूँ और हाँ बाबा ने तुझे यह भी तो बताया था ना की वो डायन मुझे इतनी आसानी से नहीं मार सकती - फिर रजत ने कहा - पर भाई उस डायन को कैसे मारना हैं यह भी तो पता होना चाहिए और यह बस वो बाबा ही बता सकते हैं इसलिए भाई आज भर रुक जा बस - 

यह दोनों यही सब बाते कर ही रहे थे तभी घर के बाहर से बिर्जेश बड़ी जोर जोर से दरवाजा टोकने लगता हैं और दरवाजा टोकते हुए ही बाहर से बोलता हैं - मेरे साथ चलो नहीं तो वो मुझे मार देगी मैं अभी मरना नहीं चाहता मुझे बचालो वो मुझे आज सच में मार देगी - अवनीत जैसे ही बिर्जेश के मुँह से इतना सुना तो वो रजत से अपना हाथ छुड़ाते हुए बोलता हैं - रजत मेरा हाथ छोड़ तुने सुना नहीं क्या अगर मैं उसके साथ नहीं गया तो वो डायन बिर्जेश को मार देगी -

फिर रजत बोलता हैं - अरे भाई वो डायन कुछ नहीं करेगी बिर्जेश को अगर उसे बिर्जेश को मारना ही होता तो वो उसे पहले ही नहीं मार देती और वैसे भी वो बिर्जेश नहीं बोल रहा हैं बल्कि उससे वो डायन यह सब बुलवा रही हैं क्यूंकि बिर्जेश तो एक साल से दिव्या के नाम के आलावा कुछ नहीं बोलता था पर आज अचानक से वो बिलकुल सही से बात कर रहा हैं इसलिए भाई मेरी बात समझने की कोशिश कर मैं मानता हूँ की तू ही हैं वो जो इस डायन को मार सकता हैं पर बिना ज्ञान के महा शक्ति भी कोई काम की नहीं होती -

रजत के इस बार इतना बोलकर अवनीत को अपने साथ उसके कमरे तक ले जाता हैं। पर बिर्जेश अभी भी अवनीत के घर के बाहर से उसके घर का दरवाजा बड़ी जोर जोर से टोक रहा था और बस यही बोले जा रहा था की - चलो मेरे साथ नहीं तो वो मुझे आज मार देगी - बस इतनी ही बात वो बार बार बोल रहा था। फिर तभी अवनीत रजत से बोलता हैं - भाई अब बिर्जेश का क्या करें क्यूंकि मुझे नहीं लगता वो आज यहाँ से वापस जाएगा और कही आज यह मेरे घर का दरवाजा ही ना तोड़ दे -

फिर रजत बोलता हैं - अरे तू इस पर कुछ ज्यादा ध्यान मत दे वो कही नहीं तोड़ पायेगा दरवाजा इसलिए तू चिंता मत कर और सो जा - रजत के इतना बोलने पर अवनीत अपने बिस्तर में जाकर लेट जाता हैं और रजत भी उसके बगल में ही आके लेट जाता हैं। फिर उसके बाद जैसा रजत ने बोला था बिलकुल वैसे ही बिर्जेश थोड़ी देर तक दरवाजा टोकता हैं फिर उसके बाद वो भी वहाँ से चला जाता हैं। अवनीत और रजत दोनों बिस्तर पर लेते हुए तो थे ही और लेटे लेटे थोड़ी ही देर में दोनों की आँख भी लग गई।

और जब उन दोनों की आँख खुली तो सुबह हो गई थी फिर उसके बाद दोनों उठे और फ्रेश होकर नाश्ता बना ही रहे थे तभी रजत का फ़ोन बजने लगता हैं फ़ोन की आवाज सुनकर रजत अपना फ़ोन अपनी जेब से निकालता हैं तो फ़ोन की स्क्रीन पर लोकेश लिखा आ रहा था फिर उसके बाद रजत तुरंत फ़ोन उठाकर अपने कान से जैसे ही लगाया तो दूसरी ओर से लोकेश ने जो बोला उसे सुनकर तो रजत को अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था की उसके कान कही कुछ गलत तो नहीं सुन रहे क्यूंकि फ़ोन की दूसरी से लोकेश ने रजत को कहा - भाई जल्दी डायन कोट में आ क्यूंकि कल उस डायन ने बिर्जेश को मार दिया और उसकी लाश अभी भी उसी डायन कोट में पड़ी हैं - 
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।



इस कहानी के लेखक हैं - शिव 

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